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________________ 380... जैन गृहस्थ के व्रतारोपण सम्बन्धी विधियों का प्रासंगिक .... उपधान की विशेष विधि विधिमार्गप्रपा आदि131 ग्रन्थों के अनुसार यदि उपधान वहन करने वाले श्रावक-श्राविका पंचमंगलमहाश्रुतस्कन्ध एवं इरियावहिश्रुतस्कन्ध नामक उपधान करने के लिए प्रवेश कर रहे हों, तो नन्दीरचना अवश्य करनी चाहिए। शेष पाँच प्रकार के उपधान तप में प्रवेश करने से पूर्व नन्दीरचना करने का कोई नियम नहीं है, किन्तु प्रथम के दो उपधानों में प्रवेश करने के दिन नियम से नंदीरचना करना चाहिए। यदि उपधान प्रवेश के मूल दिन नन्दीरचना करना हो, तो प्रात:काल सर्वप्रथम नन्दीरचना का विधान करें। उसके बाद उपधान उत्क्षेप(प्रवेश) विधि करनी चाहिए। फिर उद्देश (सप्तखमासमण) विधि और तत्पश्चात पवेयणा की विधि की जाती है। उसके बाद नन्दी का विसर्जन करते हैं। तत्पश्चात सामायिक और पौषध ग्रहण करने की विधि, फिर वन्दनषट्क आदि क्रियाएँ की जाती हैं। प्रभातकालीन क्रियाविधि ___ जिस दिन उपधानतप में प्रवेश करना हो, उस दिन अनुक्रम से निम्नोक्त विधान किए जाते हैं-यदि उपधानवाही श्रावक और श्राविका अधिक संख्या में हों, तो श्रीसंघ के नाम से चन्द्रबल आदि देखकर शुभ मुहूर्त में नन्दीरचना करनी चाहिए। उस दिन उपधानवाही प्रात:काल प्रतिक्रमण करें, फिर विधिपूर्वक आवश्यक वस्त्र आदि की प्रतिलेखना करें, फिर शरीर शुद्धि कर जिनालय में जिनप्रतिमा की पूजा करें। फिर पौषध सम्बन्धी उपकरणों को ग्रहण करके एवं सवा किलो अक्षत और सवा रूपया लेकर विविध वादिंत्रनादपूर्वक और आडम्बर सहित गुरू के समीप आएं। उसके बाद गुरू द्वारा विधिपूर्वक की गई नन्दीस्थापना में बिराजित जिनेन्द्र प्रतिमा की पूजा करें। फिर नन्दीरचना132 (त्रिगड़ा) के चारों ओर चारों दिशाओं में एक-एक स्वस्तिक का अंकन करें। उसके बाद अक्षत, पूंगीफल, श्रीफलादि द्वारा स्वयं की अंजली भरकर प्रत्येक दिशा में एक-एक नमस्कारमन्त्र का स्मरण करते हुए नन्दीरचना की तीन प्रदक्षिणा करें। तदनन्तर नन्दीस्थ जिनप्रतिमा के आगे स्वस्तिक बनाकर श्रीफल आदि सर्व सामग्री चढ़ावें। उसके बाद अपनी शक्ति के अनुसार सुवर्ण या रजत के सिक्कों द्वारा ज्ञान पूजा करें।133
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
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