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________________ उपधान तपवहन विधि का सर्वाङ्गीण अध्ययन...349 का ‘उद्देश' उन-उन सूत्रों के उपधान में प्रवेश करने के दिन किया जाता है तथा समस्त सूत्रों का 'समुद्देश' एवं 'अनुज्ञा' मालारोपण के दिन की जाती है। यहाँ उद्देश का अर्थ है - सूत्रार्थ ग्रहण करना, समुद्देश का अर्थ है- सूत्रार्थ का विशिष्ट ज्ञान प्राप्त करना, अनुज्ञा का अर्थ है - अमुक सूत्रों को पढ़ने-पढ़ाने की से गुरू अनुमति प्राप्त करना। 2. उपधान तप में मुख्य रूप से देववंदन के सूत्रों (इरियावहि, अन्नत्थ, लोगस्स, णमुत्थुणं, पुक्खरवरदी, सिद्धाणं बुद्धाणं आदि) का अध्ययन करवाया जाता है। सामायिक आदि के सूत्रों (करेमिभंते, भयवं, सामाइयवयजुत्तो आदि) के लिए उपधान वहन करने की आज्ञा नहीं है। तदुपरान्त 'चउसरण' आदि प्रकीर्णक ग्रन्थ और दशवैकालिकसूत्र के चार अध्ययन तीन-तीन आयंबिल कर उनकी वाचना ग्रहण करने का विधान है। इस बारे में गुरूगम से विशेष जान लेना चाहिए। 3. उपधान में या अन्य किसी दिन पौषध लेना हो, तो दिन के प्रथम प्रहर में ही ग्रहण करना चाहिए । प्रथम प्रहर व्यतीत होने के बाद पौषधव्रत नहीं लिया जा सकता है। 4. उपधान के सिवाय सामान्य दिन में पौषध किया हो और उसमें एकासना करना हो, तो हरी सब्जी, फल आदि खाने का निषेध किया गया है, तब उपधान-तप के पौषध में एकासना आदि के दिन हरी सब्जी, फल, रस आदि का सर्वथा निषेध ही जानना चाहिए। 5. उपधान तप में कामली ओढ़ने के समय उसे ओढ़कर ही बाहर जाना चाहिए, आसन आदि ओढ़कर कदापि नहीं जाना चाहिए तथा बाहर से आने के बाद ओढ़ी हुई कामली(शाल) को दीवार पर रख देनी चाहिए और 48 मिनट तक उसका उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि उस कामली ( शाल) पर 48 मिनट तक संपातिम जीवों का अस्तित्व रहता है। 6. उपधान की दैनिक आवश्यक - क्रियाएँ करने से पूर्व वसति की शुद्धि करना परमावश्यक है। वसति की शुद्धि होने पर ही गुरू क्रिया करवाते हैं। यहाँ वसति-शुद्धि का तात्पर्य यह है कि जिस उपाश्रय या आराधना भवन में गृहस्थ उपधान कर रहा है, उसके चारों ओर सौ-सौ कदम तक मनुष्य या तिर्यंच का रूधिर, मांस, अस्थि आदि अशुचिद्रव्य हो, तो उसकी शुद्धि करना यदि
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
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