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________________ 310... जैन गृहस्थ के व्रतारोपण सम्बन्धी विधियों का प्रासंगिक सामायिक विधि से लिया, विधि से किया, विधि से करते हुए कोई अविधिआशातना लगी हो, दस मन के, दस वचन के बारह काया के इन बत्तीस दोषों में से जो कोई दोष लगा हो, वह सब मन-वचन-काया से मिच्छामि दुक्कडं । 65. तपागच्छीय आम्नाय के अनुसार पौषध पारने का सूत्रपाठ निम्न हैंसागर चंदो कामो, चंदवडिंसो सुदंसणो धन्नो, जेसिं पोसह पडिमा, अखंडिआ जीविअं तेवि ॥1॥ धन्ना सलाहणिज्जा, सुलसा आणंद कामदेव य, जास पसंसइ भयवं, द्दिढव्वयत्तं महावीरो ||2|| पोसह विधिए लीधो, विधिए पार्यो, विधि करतां जे कोई अविधि हुओ होय ते सविहु मन, वचन, काया करी तस्स मिच्छामि दुक्कडं । 66. तपागच्छीय परम्परा में सामायिक पारने का सूत्रपाठ यह है सामाइय वयजुत्तो, जावमणे होई नियम संजुत्तो, छिन्नई असुहं कम्मं, सामाइय जत्तिआ वारा 11॥ सामाइयंमि उक्खे, समणो इव सावओ, हवइ जम्हा, एएण कारणेणं, बहुसो सामाइयं कुज्जा ।।2।। सामायिक-विधि से लिया, विधि से पारा, विधि करते जो कोई अविधि हुई हो, वे सब मन, वचन, काया से तस्स मिच्छामि दुक्कडं, दस मन के, दस वचन के, बारह काया के-इन बत्तीस दोषों में से जो कोई दोष लगा हो, वह सब मन-वचनकाया से तस्स मिच्छामि दुक्कडं । उपधानपोसहविधि, पृ. 48-59 67. श्रावकपंचप्रतिक्रमणसूत्र (अचलगच्छीय), पृ. 128 68. पायच्छंदगच्छीय आम्नाय के अनुसार पौषध पारने का सूत्रपाठ निम्न प्रकार हैसागर चंदो कामो, चंदवडिंसो सुदंसणो धन्नो। जेसिं पोसह पडिमा, अखंडिया जीवयं तेवि ॥1॥ जे तव सोसिय काया, ते सव्वे हुंति संथुआ जाया। आणंद कामदेवा, सुसाविया दसवि ते धन्ना ||2|| धन्ना सलाहणिज्जा, सुलसा आणंद कामदेवाय। जेसिं पसंसइ भयवं, दढव्वयं तं महावीरो ॥3॥ पोसहेसु सुहे भावे, असुहाई खवेइ नत्थि संदेहो । छिंदइ तिरि निर गईं, पोसह विहिं अप्पमत्तोया॥4॥
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
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