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________________ पौषधव्रत विधि का सामयिक अध्ययन 299 सामाइयवयजुत्तो, जाव मणे होइ नियम संजुत्तो । छिन्नइ असुहं कम्मं, सामाइय जत्तिया वारा ।।3।। इसी तरह पौषध पारते समय उक्त तीन गाथा सहित 'सागरचंदोकामो' की एक गाथा - ऐसे चार गाथा बोलने का सूचन किया गया है, जबकि सामाचारीप्रकरण79 में 'सागरचंदोकामो' एवं 'धन्नासलाहणिज्जा' - ये दो गाथाएँ पौषध पारने के सूत्र रूप में दी गई हैं तथा सामायिक पारने के सूत्ररूप में 'छउमत्थो मूढमणो' एवं 'सामाइयपोसह ' - ये गाथाएँ निर्दिष्ट की हैं। जिनवल्लभसूरिकृत पौषध विधिप्रकरण एवं विधिमार्गप्रपा 1 में पौषध पूर्ण करते समय कौनसा सूत्रपाठ बोला जाना चाहिए, इस सम्बन्ध में कोई निर्देश नहीं है। सामायिक पूर्ण करते समय 'भयवं दंसणभद्दो' सूत्र बोलने का उल्लेख किया गया है, किन्तु खरतर संप्रदाय में पौषध पूर्ण करते समय भी 'भयवं दंसणभद्दो' सूत्र ही बोला जाता है। रात्रिसंस्तारक पाठ की अपेक्षा- यदि हम उक्त ग्रन्थों के परिप्रेक्ष्य में रात्रिसंस्तारक की गाथाओं को लेकर तुलना करें, तो जिनवल्लभसूरिकृत पौषधविधिप्रकरण में रात्रिसंस्तारक के पाठ को लेकर एक भी गाथा का सूचन नहीं है, किन्तु इतना अवश्य कहा गया है कि यदि पौषधव्रती अर्द्धरात्रि आदि के समय शरीर चिंता के लिए उठ जाए, तो कम से कम तीन गाथा जितने स्वाध्याय का चिन्तन करके ही पुनः शयन करे और इस प्रसंग में कुछ गाथाएँ भी उद्धृत कर दी गई हैं, किन्तु इनमें से एकाध गाथा भी वर्तमान प्रचलित • संस्तारकपाठ से नहीं मिलती है। सामाचारीप्रकरण 2 और विधिमार्गप्रपा 83 में निम्न छः गाथाएँ बोलने का सूचन है- 1. अणुजाणह परमगुरू. 2. अणुजाणह संथारं. 3. संकोइयसंडासं. 4. जइ मे हुज्ज पमाओ. 5. खामेमिसव्व. 6. एवमहं आलोइय; जबकि तिलकाचार्यसामाचारी में निम्न तीन गाथाओं को कहने का निर्देश है- 1. जइ मे हुज्ज. 2. अणुजाणह संथारं. 3. अणुजाणह परमगुरू. 184 यदि इस विषय को लेकर प्रचलित परम्पराओं की अपेक्षा चिन्तन करें, तो खरतरगच्छ में 21, तपागच्छ में 17, अचलगच्छ में 20, पायच्छंदगच्छ में 19 एवं त्रिस्तुतिकगच्छ में 20 गाथाएँ बोलने की सामाचारी प्राप्त होती है। आचार्य
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
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