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________________ 276... जैन गृहस्थ के व्रतारोपण सम्बन्धी विधियों का प्रासंगिक .... पौषधशाला में अथवा साधु के समीप पौषध सम्बन्धी उपकरणों को साथ लेकर जाए। • उसके बाद गुरू महाराज हों, तो उनके स्थापनाचार्य के सम्मुख, अन्यथा स्वयं के स्थापनाचार्य के समक्ष एक खमासमणसूत्रपूर्वक ईर्यापथप्रतिक्रमण करें अर्थात इरियावहिल, तस्स., अन्नत्थसूत्र बोलकर चार नवकार का कायोत्सर्ग करें और प्रकट में लोगस्ससूत्र बोलें।29 • उसके बाद पुन: एक खमासमण देकर 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! पोसह मुंहपत्ति पडिलेहुं ?' फिर 'इच्छं' कहकर पौषधव्रत ग्रहण करने के निमित्त मुखवस्त्रिका का प्रतिलेखन करें।30 • उसके बाद एक खमासमण देकर 'इच्छा.संदिसह भगवन्! पोसह संदिसाहुं • इच्छं' कहें। * वर्तमान परम्परा में गुरू भगवन्त हों, तो 'संदिसावेह' 'ठावेह'-ऐसा आदेश देते हैं, किन्तु मूलविधि में ऐसा पाठ नहीं है। • उसके बाद खमासमणसूत्रपूर्वक वंदन करके दोनों हाथों में चरवला और मुखवस्त्रिका को ग्रहण करते हुए तीन नमस्कारमन्त्र बोलें। उसके बाद अर्धावनत होकर, यदि गुरू भगवन्त हों, तो 'इच्छकारी भगवन् ! पसाय करी पोसह दंडक उच्चरावोजी'-ऐसा कहकर पौषध की प्रतिज्ञा करवाने की प्रार्थना करें। तब गुरू या कोई ज्येष्ठ श्रावक हो तो उनसे, अन्यथा स्वयं ही ‘पौषधदंडक' का तीन बार उच्चारण करें। पौषधग्रहण का पाठ यह है करेमि भंते पोसहं ! आहार पोसहं देसओ सव्वओ वा, सरीर सक्कारपोसहं सव्वओ. बंभचेर पोसहं सव्वओ, अव्वावारपोसहं सव्वओ। चउविहे पोसहे सावज्जं जोगं पच्चक्खामि जाव अहोरत्तं 31 पज्जुवासामि। दुविहं तिविहेणं, मणेणं वायाए काएणं, न करेमि न कारवेमि, तस्स भंते पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि। भावार्थ- हे भगवन् ! मैं एक अहोरात्र के लिए आहार का देश से तथा शरीर सत्कार नहीं करने का, अब्रह्मसेवन न करने का और व्यापार न करने का सर्वथा त्याग करता हूँ। मेरा पौषधव्रत जब तक रहेगा, तब तक गृहीत नियमों का पालन दो करण एवं तीन योग-पूर्वक करूंगा साथ ही अतीतकाल में किए गए सावधयोग का प्रतिक्रमण करता हूँ, निन्दा करता हूँ, गुरूसाक्षी से
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
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