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बारहव्रत आरोपण विधि का सैद्धान्तिक अनुचिन्तन ...207
40. उपासकदशा, मधुकरमुनि, 1/48 41. सुत्तनिपात, 26/21 42. अभिधानराजेन्द्रकोश, भा.-6, पृ.427, 429. भा.-5/526, 528 43. उपासकदशा, मधुकरमुनि, 1/17 44. वंदित्तुसूत्र, गा.-18 45. उपासकदशा, मधुकरमुनि, 1/49 46. रत्नकरण्डक श्रावकाचार, 62 47. अभिधानराजेन्द्रकोश, भा.-2, पृ.-278 48. योगशास्त्र, 2/115 49. प्रश्नव्याकरणसूत्र-परिग्रहद्वार 50. उपदेशमाला, गा.-243 51. भक्तपरिज्ञा, गा.-132 52. योगशास्त्र, 2/109-110 53. योगदृष्टि समुच्चय, श्लो. 214-216 54. परिघय इव नगराणि व्रतानि किल पालयन्ति शीलानि।
पुरूषार्थसिद्धयुपाय, 136 55. अहं णं देवाणुप्पियाणं पंचाणुवइयं सत्त सिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवज्जिसामि। उवासगदसाओ-1/12 56. (क) व्रतान्तरयपरिपालनेन साधकतमानि व्रतानि गुणव्रतान्युच्यन्ते।
___ उपासकदशांगटीका-मुनि घासीलाल, पृ-232 (ख) परमपद प्राप्तिसाधनीभूता क्रियातस्यै
उपासकदशांगटीका, मुनि घासीलाल, पृ-244 57. उपासकदशा, मधुकरमुनि, 1/50 58. योगशास्त्र, 2/3 59. श्रावकप्रज्ञप्ति टीका, पृ.-168 60. भगवतीसूत्र, 7/2 61. हारिभद्रीयावश्यकटीका, 6/7 62. अभिधानराजेन्द्रकोश, भा.-2, पृ. 899 63. जैन आचार:सिद्धान्त और स्वरूप, पृ-420