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________________ 180... जैन गृहस्थ के व्रतारोपण सम्बन्धी विधियों का प्रासंगिक .... | गुणव्रत 2 तालिका । 3 4 शिक्षाव्रत 5 6 | 7 | उपासकदशांग सूत्र, श्रावक प्रतिक्रमणसूत्र, | दिग्व्रत श्रावकप्रज्ञप्ति, योगश्त्र उपभोग परिभोग अतिथि परिमाणव्रत | अनर्थदण्ड | सामायिक | देशावगासिक | पौषध | संविभाग व्रत उमास्वातितत्त्वार्थसूत्र | दिग्व्रत | देशव्रत | अनर्थदण्ड | सामायिक | पौषधोपवास अतिथि संविभाग परिभोग | व्रत कुन्दकुन्द अनर्थदण्ड | भोगोपभोग | सामायिक | पौषधोपवास | अतिथि | संलेखना चारित्रपाहुड संविभाग | संलेखना तत्त्वार्थसूत्र, पुरुषार्थसिद्धयुपाय, भोगोपभोग अतिथि उपासकाध्ययन, दिग्व्रत देशव्रत | अनर्थदण्ड | सामायिक | पौषधोपवास | परिमाण | संविभाग अमितगति व्रत श्रावकाचार रत्नरण्डक पौषधोश्रावकाचार, | दिग्व्रत | अनर्थदण्ड | भोगोपभोग | देशव्रत | सामायिक | पवास वैयावृत्य सागारधर्मामृत कार्तिकेयानु- | दिग्व्रत | अनर्थदण्ड | भोगोपभोग | सामायिक | पौषधोपवास | अतिथि प्रेक्षा संविभाग वसुनन्दि दिग्व्रत देशव्रत | अनर्थदण्ड | भोगविरति | परिभोग विरति अतिथि- | संलेखना श्रावकाचार संविभाग देशव्रत बारहव्रत स्वीकार एवं प्रदान करने का अधिकारी कौन बारहव्रत स्वीकार करने से पूर्व यह समझ लेना जरूरी है कि व्रत को ग्रहण करने एवं प्रदान करने का अधिकारी कौन हो सकता है? इस सम्बन्ध में पृथक् रूप से कहीं कोई विवेचन पढ़ने में नहीं आया है, किन्तु इतना निश्चित है कि बारहव्रत स्वीकार करने वाला गृहस्थ सम्यक्त्व-व्रतधारी के लिए जिन योग्यताओं का निर्देश दिया गया है, उन गुणों से युक्त होना चाहिए, क्योंकि सम्यक्त्वव्रत के अनन्तर या कुछ अवधि के पश्चात् यह व्रत ग्रहण किया जाता है। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए बारहव्रतधारी की योग्यता का पृथक्
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
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