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________________ सम्यक्त्वव्रतारोपण विधि का मौलिक अध्ययन ... 125 इस स्तोत्र के साथ पाँच गाथाओं का अन्य स्तोत्र भी उल्लिखित है। 123 विधिमार्गप्रपा में भी वैकल्पिक रूप से पंचपरमेष्ठीस्तव बोलने का निर्देश किया गया है। व्रतदंडक की अपेक्षा - तिलकाचार्य सामाचारी 1 24 में व्रतग्रहण का पाठ कुछ अन्तर के साथ प्राप्त होता है और आचारदिनकर 125 में सम्यक्त्वव्रतग्रहण के दो पाठ दिए गए हैं लगभग एक पाठ स्वयं के द्वारा ग्रहण करने की अपेक्षा से है और दूसरा पाठ गुरू द्वारा ग्रहण करवाने की अपेक्षा से है। सुबोधासामाचारी 126 एवं विधिमार्गप्रपा 127 में व्रत ग्रहण का पाठ समान है। मुद्रासंख्या की अपेक्षा - तिलकाचार्य सामाचारी 12 7128 के अनुसार वासचूर्ण अभिमन्त्रित करते समय बारह मुद्राओं का प्रयोग किया जाना चाहिए। विधिमार्गप्रपा के अनुसार वास को सात मुद्राओं द्वारा संस्कारित करना चाहिए129, जबकि सुबोधासामाचारी एवं आचारदिनकर में तत्सम्बन्धी कोई निर्देश नहीं है। इस तुलनात्मक विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि सम्यक्त्व व्रतारोपण विधि को लेकर तत्सम्बन्धी ग्रन्थों में जो भी मतभेद हैं, वे मूलतः परम्परागत सामाचारी से ही सम्बन्धित हैं। यदि सम्यक्त्वव्रतारोपण विधि की दिगम्बर- परम्परा के साथ तुलना की जाए, तो अवगत होता है कि दिगम्बर- परम्परा के आदिपुराण में व्रतावतरण नामक संस्कार अनिवार्य रूप से स्वीकारा गया है, किन्तु उसमें सम्यक्त्वव्रत ग्रहण को समाहित नहीं किया है। इस व्रतावतरण में हिंसादि पाँच स्थूल पापों का त्याग करने का निर्देश है। इससे सिद्ध होता है कि विक्रम की 9वीं - 10वीं शती तक इस विधि का सुनियोजित स्वरूप प्रचलित नहीं हो पाया था, क्योंकि दिगम्बर परम्परा के ग्रन्थों में सम्यक्त्वग्रहण सम्बन्धी उल्लेख मिलते हैं और साधना मार्ग में प्रवेश पाने के लिए सम्यक्त्व (श्रद्धा) गुण को अपरिहार्य माना है। यदि प्रस्तुत व्रतारोपणविधि की वैदिक परम्परा के साथ तुलना की जाए, तो वैदिक-मत में यह चर्चा श्रद्धातत्त्व के रूप में परिलक्षित होती है। गीता में श्रद्धा शब्द का अर्थ प्रमुख रूप से ईश्वर के प्रति अनन्य निष्ठा किया
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
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