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संस्कारों का मूल्य और उनकी अर्थवत्ता...33
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क्रं. | श्वेताम्बर मान्य संस्कार | दिगम्बर मान्य संस्कार| वैदिक मान्य संस्कार 1 | गर्भाधान संस्कार गर्भाधान संस्कार | गर्भाधान संस्कार 2 | पुंसवन संस्कार प्रीति संस्कार पुंसवन संस्कार 3 | जन्म संस्कार | सुप्रीति संस्कार सीमन्तोन्नयन संस्कार 4 | चन्द्र सूर्य दर्शन संस्कार। | सीमन्तोन्नयन संस्कार । | जातकर्म संस्कार 5 |क्षीराशन संस्कार
मोद संस्कार
नामकरण संस्कार 6 | षष्ठी संस्कार
प्रियोद्भव संस्कार कर्णवेध संस्कार 7 | शुचिकर्म संस्कार नामकर्म संस्कार निष्क्रमण संस्कार
| नामकरण संस्कार बहिर्यान संस्कार अन्नप्राशन संस्कार 19 | अन्नप्राशन संस्कार निषधा संस्कार | चूडाकर्म संस्कार |10 | कर्णवेध संस्कार | अन्नप्राशन संस्कार | विद्यारम्भ संस्कार
| चूड़ाकरण(मुण्डन) संस्कार | वर्षवर्द्धन संस्कार उपनयन संस्कार
| उपनयन संस्कार | चौल संस्कार वेदारम्भ संस्कार |13 | विद्यारम्भ संस्कार लिपिसंख्यान संस्कार | समावर्तन संस्कार 14 | विवाह संस्कार | उपनीति संस्कार केशान्त संस्कार 15 | व्रतारोपण संस्कार व्रतावतरण संस्कार | विवाह संस्कार 16 अन्त्य संस्कार | विवाह संस्कार अन्त्येष्टि संस्कार | ___ यदि उपर्युक्त सूची के अनुसार तुलनात्मक विवेचन करते हैं, तो अवगत होता है कि संस्कार की संख्या के सम्बन्ध में तीनों परम्पराएँ एकमत हैं, किन्तु नाम एवं क्रम को लेकर काफी कुछ वैभिन्य है। जहाँ तक सोलह संस्कारों के नाम का प्रश्न है, तो श्वेताम्बर एवं वैदिक परम्परा में काफी कुछ साम्य है। श्वेताम्बर परम्परा में मान्य सोलह संस्कारों की अपेक्षा वैदिक परम्परा में सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, निष्क्रमण, वेदारम्भ, समावर्तन और केशान्त ये छ: नाम भिन्न मिलते हैं, शेष क्रम की दृष्टि से भिन्न होने पर भी समतुल्य हैं, जबकि दिगम्बर परम्परा मान्य संस्कार नामों में काफी विविधता है। उनमें गर्भाधान, नामकर्म, अन्नप्राशन, उपनीति, व्रतावतरण, विवाह और सीमन्तोन्नयन-इन सात नामों को छोड़कर शेष नाम दोनों परम्पराओं से अलग हैं। जहाँ तक सोलह संस्कारों के क्रम का सवाल है, वहाँ श्वेताम्बर परम्परा में