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________________ 32...जैन गृहस्थ के सोलह संस्कारों का तुलनात्मक अध्ययन 6. अन्नप्राशन 7. चौल 8. मौंजी 9-12. चतुर्वेदव्रत 13. गोदान(केशान्त) 14. समावर्तन 15. विवाह और 16. अन्त्य। याज्ञवल्क्यस्मृति के अनुसार सोलह संस्कार निम्नलिखित हैं 66 1. गर्भाधान 2. पुंसवन 3. स्पन्दन 4. जातकर्म 5. नामकरण 6. सूर्यावेक्षण(निष्क्रमण) 7. अन्नप्राशन 8. चूड़ाकरण 9. कर्णवेध 10. ब्रह्मसूत्रोपनयन 11. व्रत 12. विसर्जन 13. केशान्त 14. विवाह 15. चतुर्थी कर्म और 16. अग्नि संग्रह दस संस्कार- वैष्णव धर्मशास्त्र में निम्न दस संस्कारों का सूचन प्राप्त होता है 67- 1. निषेक 2. पुंसवन 3. स्पन्दन 4. सीमन्तोन्नयन 5. जातकर्म 6. नामधेय 7. आदित्यदर्शन 8. अन्नप्राशन' 9. चूड़ाकरण 10. उपनयन। इस प्रकार हम देखते हैं कि गृह्यसूत्रों, धर्मसूत्रों एवं स्मृतियों में संस्कार कर्म की संख्या भिन्न-भिन्न हैं, यद्यपि आधुनिक युग की परिपाटी में सोलह संख्या निर्धारित कर दी गई है। वर्तमान में सोलह संस्कार ही लोकप्रिय बने हुए हैं तथा इन संस्कारों की परिगणना पूर्व निर्दिष्ट शास्त्रों के आधार पर ही की गई है। हिन्दू धर्म की वर्तमान परम्परा में मान्य सोलह संस्कारों के नाम इस प्रकार हैं1. गर्भाधान 2. पुंसवन 3. सीमन्तोन्नयन(ये तीन संस्कार जन्म से पूर्व के हैं) 4. जातकर्म 5. नामकरण 6. निष्क्रमण 7. अन्नप्राशन 8. चूड़ाकरण 9. कर्णवेध (ये छः संस्कार बाल्यावस्था के हैं) 10. विद्यारम्भ 11. उपनयन 12. वेदारम्भ 13. केशान्त 14. समावर्तन (ये पाँच संस्कार ब्रह्मचर्य व्रत के समापन एवं विद्यार्थी जीवन के सूचक रूप में माने गए हैं) 15. विवाह संस्कार (गृहस्थ जीवन के शुभारम्भ पर किया जाने वाला संस्कार) और 16. अन्त्येष्टि संस्कार (यह जीवन के समापन पर सम्पन्न किया जाता है)। ___ यदि हम जैन धर्म की दृष्टि से संस्कार कर्म की संख्या को लेकर विचार करते हैं तो श्वेताम्बर एवं दिगम्बर दोनों परम्पराओं में वैदिक धर्म की भाँति कोई मतभेद नहीं है। दोनों परम्पराओं में संस्कार कर्म की संख्या सोलह मानी गई है, केवल नाम एवं क्रम की दृष्टि से वैभिन्य है। यहाँ तुलनात्मक दृष्टि से श्वेताम्बर, दिगम्बर एवं वैदिक परम्परा में मान्य सोलह संस्कारों की सूची प्रस्तुत कर रहे हैं जो निश्चित रूप से मननीय है
SR No.006239
Book TitleJain Gruhastha Ke 16 Sanskaro Ka Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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