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संस्कारों का मूल्य और उनकी अर्थवत्ता...31 सप्तहयज्ञ- 27. अग्न्याधेय(श्रौताधान) कर्म 28. अग्निहोत्र 29. दर्शपौर्णमास 30. चातुर्मास्ययागविश्वदेव वरूणप्रधास, साकमेध, शुनासीरीय-ये चारों पर्व 31. आग्रयणेष्टि(नवान्नेष्टि) 32. निरूढ़पश्याग 33. सौत्रामणीयाग- ये अग्न्याधेय आदि सात दुग्ध, घृत एवं पुरोडाश आदि हविषों से होने के कारण हविर्यज्ञ कहलाते हैं। सप्त सोमयज्ञ1 34. अग्निष्टहोम 35. अत्यग्निष्टहोम 36. उक्थ 37. षोडशी 38. वाजपेय 39. अतिरात्र 40. आप्तौर्यामि-ये सात सोमलता से होने के कारण सोमयाग कहलाते हैं।
पच्चीस संस्कार- संस्कारमयूख और संस्कारप्रकाश आदि में समुद्धृत वचनों के अनुसार अंगिरा ऋषि ने पच्चीस संस्कार कहे हैं। उनमें चौथा विष्णुबलि कर्म है तथा केशान्त को छोड़कर विवाह तक के संस्कार गौतम धर्मसूत्र के तुल्य समझने चाहिए। पाकयज्ञों में से चैत्री कर्म को छोड़कर पूर्वोक्त पंचमहायज्ञ आदि तथा हविर्यज्ञों में से एक आग्रयण, दो उपाकर्म और उत्सर्गऐसे 25 संस्कार माने गए हैं।62
तेरह संस्कार- जब हम स्मृति सूत्रों का अवलोकन करते हैं, तो उनमें भी संस्कारों की संख्या, नाम एवं क्रम को लेकर विविधता के दर्शन होते है। मनु के अनुसार जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त तेरह संस्कार होते हैं जो निम्न हैं1.गर्भाधान 2. पुंसवन 3.सीमन्तोन्नयन 4.जातकर्म 5.नामधेय 6.निष्क्रमण 7.अन्नप्राशन 8.चूडाकर्म 9.उपनयन 10.केशान्त 11.समावर्तन 12.विवाह 13.श्मशान 163 __सोलह संस्कार- इसके अतिरिक्त परवर्तीकालीन स्मृतियों में सोलह संस्कारों की सूची दी गई है। व्यास स्मृति के अनुसार ये संस्कार निम्न हैं-64 1.गर्भाधान 2.पंसवन 3.सीमन्त 4.जातकर्म 5.नामकरण 6.निष्क्रमण 7.अन्नप्राशन 8.वपनक्रिया (चूडाकर्म) 9.कर्णवेध 10.व्रतादेश(उपनयन) 11.वेदारम्भ 12.केशान्त 13.स्नान (समावर्तन) 14.विवाह 15.विवाहाग्नि परिग्रह(आवसथ्याधान) और 16.त्रेताग्निसंग्रह(श्रौताधान)। इस सूची में मन द्वारा उल्लिखित संस्कारों के साथ ही कर्णवेध और उपर्युक्त अंतिम दो नाम और जोड़ दिए गए हैं।
जातूकर्ण्य और मार्कण्डेय स्मृति के अनुसार सोलह संस्कार इस प्रकार हैं 65- 1. गर्भाधान 2. पुंसवन 3. सीमन्तोन्नयन 4. जातकर्म 5. नामकरण