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________________ 30...जैन गृहस्थ के सोलह संस्कारों का तुलनात्मक अध्ययन ____ 18 पाणिग्रहण 7 चूड़ाकरण 8 व्रतादेश 9 गोदान 10 केशान्त 11 विसर्ग __ 12 विवाह उपर्युक्त तालिका का अध्ययन करने पर यह ज्ञात होता है कि आश्वलायन गृह्यसूत्र में ग्यारह, पारस्कर गृह्यसूत्र, बौधायन गृह्यसूत्र और वाराह गृह्यसूत्र में तेरह, वैश्वानस गृह्यसूत्र में अठारह, खादिर गृह्यसूत्र में आठ, गोभिलपुत्रकृत गृह्य संग्रह में बारह प्रकार के संस्कार बताए गए हैं, जिनमें परस्पर संख्या, नाम एवं क्रम को लेकर किंचिद मतभेद है। चालीस संस्कार- गौतमधर्मसूत्र में चालीस प्रकार के संस्कारों का निरूपण हैं। उनमें यज्ञों का समावेश भी कर दिया गया है। इससे सूचित होता है कि यज्ञ भी परोक्ष रूप से पूत(पवित्र) करने वाले माने जाते थे 54, किन्तु उनका मुख्य प्रयोजन देवताओं की आराधना कर उन्हें प्रसन्न करना था, जबकि संस्कारों का प्रधान ध्येय संस्कार्य व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं देह को सुसंस्कृत करना होता था।55 वर्तमान में इन चालीस संस्कारों में से नौ-दस संस्कार ही मौजूद रह गए हैं, शेष प्रचलन में नहीं है। गौतमधर्मसूत्र में आठ प्रकार के आत्मगुण भी संस्कार के रूप में माने गए हैं। इस तरह गौतम के अनुसार कुल 48 संस्कार होते हैं। चालीस संस्कार के नाम ये हैं- 1. गर्भाधान66 2. पुंसवन 3. सीमन्तोन्नयन 4. जातकर्म 5. नामकरण 6. अन्नप्राशन 7. चौल 8. उपनयन(चार वेद)57 9. ऋग्वेद 10. यजुर्वेद 11. अथर्ववेद 12. सामवेद 13. स्नान 14. सहधर्मचारिणीसंयोग पंच महायज्ञ68 15. देवयज्ञ 16. पितायज्ञ 17. अतिथियज्ञ 18. भूतयज्ञ 19. ब्राह्मणयज्ञ सप्तपाकयज्ञ9- 20. अष्टकाश्राद्ध 21. पार्वणस्थालीपाक 22. श्राद्ध (पितृमेध, पिण्डपितृयज्ञ) 23. श्रावणी 24. आग्रहायणी 25. चैत्री (चैत्र मास की पौर्णमासी में विहित स्मार्त्त) कर्म 26. आश्विनी (आसोज मास की पौर्णमासी में विहित स्मार्त्त) कर्म। ये पंच महायाग आदि सात पकाए हुए अन्न से किए जाने के कारण पाकयज्ञ कहलाते हैं।
SR No.006239
Book TitleJain Gruhastha Ke 16 Sanskaro Ka Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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