________________
संस्कारों का मूल्य और उनकी अर्थवत्ता...11
टालस्टाय, अब्राहम लिंकन आदि संसार के कुरूप व्यक्तियों में माने जाते हैं। यूनान के सुकरात भी कुरूप थे, पर उनका व्यक्तित्व इतना आकर्षक था कि लोग मुग्ध हो जाते थे। इससे स्पष्ट होता है कि सुन्दरता का मापदण्ड रंग और नाक-नक्शा ही नहीं होता। वास्तविकता यह है कि सुन्दरता न ईश्वर प्रदत्त प्रसाद है और न ही इसका आंकलन रंग अथवा नाक-नक्शे से होता है, इसका रहस्य आंतरिक सौंदर्य से है।
सुन्दरता का रहस्य वस्तुत: मनुष्य के संस्कारों में छिपा है। शरीर और मन का निर्विकार होना, स्वभाव का मधुर होना, कार्य को स्फूर्ति पूर्वक करना, फूल की भाँति सदा प्रसन्न, खिला हुआ रखना सुन्दरता है, जो अनायास ही दूसरों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। यह सुन्दरता का बाह्य मापदण्ड है। आन्तरिक धरातल पर देखें, तो जो लोग परोपकार, परमार्थ और पर सेवा में लगे रहते हैं, किसी का भी सहयोग करने में तत्पर रहते हैं, प्रोत्साहन और आश्वासन देना जिनका स्वभाव होता है तथा जिनका हृदय निर्मल, निर्विकार, निश्छल, निष्कपट होता है, वे ही यथार्थ रूप में सुन्दर होते हैं। ऐसी सुन्दरता उनके बाह्य व्यक्तित्व में भी चमत्कार उत्पन्न कर देती है। ___ सुन्दरता संस्कारों के परिणाम स्वरूप निखरती है। यदि संस्कारों का आरोप विधिवत एवं समुचित रूप से किया जाए तो व्यक्ति का आन्तरिक विकास उत्तुंग शिखरों को छूने लगता है, उससे व्यक्ति की दैहिक दशा में ही परिवर्तन नहीं आता, अपित् मन, जीवन एवं विचारों की दशा में भी आमूलचूल परिवर्तन होने लगता है। यही संस्कारों का लाभ है।
वस्तुत: संस्कार मानव जीवन का परिष्कार करते हैं, चैतसिक शुद्धि में सहायक बनते हैं, व्यक्तित्व विकास करते हैं, मनुष्य देह को पवित्रता के गुणों से वासित करते है, सांसारिक जटिलताओं और समस्याओं का निवारण करते हैं, अनेक सामाजिक समस्याओं का भी समाधान करते हैं। जैसे कि गर्भाधान एवं जन्म के पूर्व तक के संस्कार यौन और प्रजनन सम्बन्धी समस्याओं को दूर करते है, विद्यारम्भ तथा उपनयन से समावर्तन पर्यन्त संस्कार शिक्षा की दृष्टि से लाभकारी है, विवाह संस्कार अत्याचारी एवं मर्यादाहीन प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाता है। यह संस्कारों की प्रत्यक्ष उपयोगिता है। इसी आधार पर कह सकते हैं कि जीवन उन्नयन एवं चारित्र निर्माण में संस्कारों की बहुत बड़ी भूमिका होती है।