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lii... जैन गृहस्थ के सोलह संस्कारों का तुलनात्मक अध्ययन अध्याय-4 : जातकर्म संस्कार विधि का पारम्परिक स्वरूप
73-82 • जातकर्म संस्कार का अर्थ • जातकर्म संस्कार की आवश्यकता क्यों? • जातकर्म संस्कार करने योग्य अधिकारी • जातकर्म संस्कार के लिए मुहूर्तविचार • जन्म संस्कार का काल विचार • भारतीय साहित्य में वर्णित जन्म संस्कार विधि • विविध परम्पराओं में प्रचलित तुलनात्मक विवेचन • उपसंहार • संदर्भ सूची। अध्याय-5 : सूर्य-चन्द्र दर्शन संस्कार विधि का प्राचीन स्वरूप
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• सूर्य-चन्द्र दर्शन संस्कार के विभिन्न पर्याय • सूर्य-चन्द्र दर्शन संस्कार की मौलिक आवश्यकता • निष्क्रमण एवं सूर्य-चन्द्र दर्शन संस्कार का उद्भव एवं विकास • सूर्य-चन्द्र दर्शन संस्कार करवाने का अधिकारी • सूर्य-चन्द्र दर्शन संस्कार के लिए मुहूर्त विचार • सूर्य-चन्द्र दर्शन संस्कार का काल निर्णय • सूर्य-चन्द्र दर्शन संस्कार में उपयोगी मुख्य सामग्री • सूर्य-चन्द्र दर्शन संस्कार विधि का साहित्यिक स्वरूप • सूर्य-चन्द्र दर्शन संस्कार सम्बन्धी विधिविधानों के प्रयोजन • बहिर्यान या निष्क्रमण संस्कार से होने वाले लाभ • सूर्य-चन्द्र दर्शन का संस्कार का तुलनात्मक चिन्तन • उपसंहार • संदर्भ सूची। अध्याय-6 : क्षीराशन(दुग्धपान) संस्कार विधि का क्रियात्मक स्वरूप
97-103 • क्षीराशन संस्कार का शाब्दिक अर्थ • क्षीराशन संस्कार की नैतिक आवश्यकता• क्षीराशन संस्कार करवाने के शास्त्र सम्मत अधिकारी • क्षीराशन संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त विचार • क्षीराशन संस्कार हेतु उपयुक्त काल • क्षीराशन संस्कार में प्रयुक्त सामग्री • क्षीराशन संस्कार की शास्त्रोक्त विधि . क्षीराशन संस्कार का तुलनात्मक विवेचन • उपसंहार • संदर्भ-सूची। अध्याय-7 : षष्ठी संस्कार विधि का व्यावहारिक स्वरूप
104-111 • षष्ठी संस्कार का अर्थ. षष्ठी संस्कार की आवश्यकता क्यों और कब से? . जन्म के छठवें दिन ही षष्ठी संस्कार क्यों? . षष्ठी संस्कार करवाने