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________________ विवाह संस्कार विधि का त्रैकालिक स्वरूप ...277 पार्षद्यत्रायस्त्रिांशल्लोकपालानीक प्रकीर्ण-सायुधबल-वाहनान् स्वस्वोपलक्षित चिह्वान्, अप्सरसश्च परिगृहीतोपरिगृहीताभेद भिन्ना: ससखिका: सदासिकाः साभरणारूचकवासिनीदिक्कुमारिकाश्च सर्वाः, समुद्रनदी गिर्याकरवनदेवतास्तदेतान् सर्वान् सर्वाश्च इदं अर्घ्यं पाद्यमाचमनीयं बलिं चरूं हुंत न्यस्तं ग्राह्यग्राह्य, स्वयं गृहाणगृहाण स्वाहा अर्ह " • फिर अच्छी तरह से अग्नि प्रज्वलित हो जाने पर गृहस्थ गुरु वधू के सम्मुख बैठकर अभिषेक मन्त्र का उच्चारण करे। फिर तीर्थोदक से दोनों को सिंचित करे। • फिर वधू के दादा, पिता, भाई, नाना या मामा धर्मानुष्ठान हेतु वरकन्या के आगे बैठे। . फिर शान्तिक-पौष्टिककर्म करें। • तदनन्तर गृहस्थ गुरु के कहने पर दोनों के परिवारिकजन अपनी कुल, जाति या वंश को प्रकट करें। • तदनन्तर वर-कन्या से अग्नि की पूजा कराएं। उसके बाद वधू अंजली भर 'लावे' की अग्नि में आहुति दें। फेरा विधि- तत्पश्चात सर्व परिवार और अग्नि की साक्षी में हस्त मिलाप एवं ग्रन्थि बंधन सहित वर कन्या अग्नि की चार प्रदक्षिणा दें।. यहाँ तीन लाजाओं की तीन प्रदक्षिणाओं में वधू को आगे और वर को पीछे रखते हैं और अग्नि में लाजा-मुष्ठि से हवन करते हैं। प्रथम की तीन प्रदक्षिणाओं में वधू को दाहिनी और एवं वर को बाईं ओर बिठाएं। . तीन प्रदक्षिणा की विधि सम्पन्न होने पर प्रचलित प्रथा के अनुसार वर कन्या की ओर से सात-सात वचन दिए जाते हैं। . उसके बाद चौथे फेरे के समय कन्या का हाथ नीचे और वर का हाथ ऊपर करे। फिर वर को आगे करें और कन्या को पीछे करें। . तदनन्तर अग्नि में लाजा की मुष्ठी प्रक्षिप्त कर अग्नि की चौथी प्रदक्षिणा कराए। • यहाँ इतना विशेष है कि प्रत्येक प्रदक्षिणा के पूर्व गृहस्थ गुरु फेरे का मन्त्र बोलते हैं। वे मन्त्र इस प्रकार हैं - प्रथम फेरे का मन्त्र- “ॐ अहँ अनादि विश्वमनादिरात्मा, अनादि: कालोऽनादिकर्म, अनादिः सम्बन्धो देहिनां देहानुमतानुगतानां क्रोधाहंकारछद्मलोभैः संज्वलनप्रत्याख्याना-वरणानन्तानुबन्धिभिः शब्द रूपरसगन्धस्पर्शेरिच्छानिच्छा-परिसंकलितै सम्बन्धोनुबंधः प्रतिबन्धः संयोग सुगमः सुकृत: सुनिवृत्तः सुतुष्टः सुपुष्टः सुलब्धो द्रव्य भाव विशेषेण अहँ ।”
SR No.006239
Book TitleJain Gruhastha Ke 16 Sanskaro Ka Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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