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________________ 276... जैन गृहस्थ के सोलह संस्कारों का तुलनात्मक अध्ययन देहि, सन्ततिं देहि, ऋद्धि देहि, वृद्धिं देहि, सर्व समीहितं देहि देहि स्वाहा।।” तोरण प्रतिष्ठा विधि - पूर्ववत पुष्प आदि उछालकर तोरण की प्रतिष्ठा करे। तोरण प्रतिष्ठा का मन्त्र निम्न है - “ॐ ह्रीँ श्रीँ नमो द्वारश्रिये सर्वपूजिते सर्वमानिते सर्वप्रधाने। इह तोरणस्या सर्वं समीहितं देहि देहि स्वाहा ।। " अग्निस्थापना विधि- तत्पश्चात वेदी के मध्यभाग में निर्मित अग्निकुंड के आग्नेयकोण में मन्त्र पूर्वक अग्नि की स्थापना करे। अग्नि स्थापना मन्त्र निम्न है - “ॐ रं रां रीं रूं रौं रः । नमोऽग्नये, नमो बृहद्भानवे, नमोऽनन्ततेजसे, नमोऽनन्तवीर्याय, नमोऽनन्तगुणाय नमोहिरण्यरेतसे नमःछागवाहनाय, नमो हव्याशनाथ। अत्र कुण्डे आगच्छ आगच्छ, अवतर अवतर, तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा।।” उसके बाद नूतन वर-वधु को पुरूष एवं नारियों की गोद में बिठाकर, गीत गाते हुए, दक्षिणद्वार से प्रवेश करवाकर वेदी के बीच में लाएं। • उसके बाद अपने-अपने देशाचार और कुलाचार के अनुसार काष्ठासनों, बेंत के आसनों, सिंहासनों या घास निर्मित आसनों पर वर-कन्या को पूर्व दिशा की ओर मुख करके बिठाएं। • फिर हस्तलेप एवं वेदीकर्म के हो जाने पर कुलाचार अनुरूप कोरा वस्त्र, कौसुंभवस्त्र या स्वाभाविक वस्त्र वर-कन्या को पहनाएं। होम विधि- तत्पश्चात गृहस्थ गुरु उत्तराभिमुख होकर एवं मृगचर्म पर बैठकर निर्दिष्ट वस्तुओं द्वारा अग्नि प्रज्वलित कर मन्त्र पूर्वक घी, शहद, तिल, जौ और विविध प्रकार के फलों की आहुति दें, हवन करें | 51 वह हवन मन्त्र इस प्रकार है के “ऊँ अहं! ऊँ अग्ने ! प्रसन्नः सावधानो भव । तवौयमवसरः तदाकारयेन्द्रंयमं, नैऋतिं वरूणं वायुं कुबेरमीशानं नागान् ब्रह्माणं लोकपालान्, ग्रहांश्च सूर्य- शशि- कुज- सौम्या - बृहस्पति-कवि-शनि- राहु-केतुन्, सुरांश्चासुरनाग सुपर्णविद्युदग्निद्वीपोदधिदिक्कुमारान् भवनपतीन्, पिशाच-भूतयक्ष-राक्षस-किन्नर-किंपुरूष -महोरग- गन्धर्वान्, व्यन्तरान् चन्दौर्कग्रह-नक्षत्र - तारकान् - ज्योतिष्कान्, सौधर्मेशान सनत्कुमार-माहेन्द्र-ब्रह्मलान्तकक - शुक्रसहस्रारौनतद प्राणतौरणाच्युत ग्रैवेयकौनुत्तरभवान् वैमानिकान्, इन्द्रसामानिकान्
SR No.006239
Book TitleJain Gruhastha Ke 16 Sanskaro Ka Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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