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________________ विवाह संस्कार विधि का त्रैकालिक स्वरूप ...273 और उसकी पूजा करें। यह विधि आचारदिनकर (पृ. 34) से जाननी चाहिए। यहाँ उल्लेखनीय है कि विवाह के बाद भी कुलकर की स्थापना तथा गणेश एवं कामदेव की स्थापना सात दिन-रात तक रखनी चाहिए। . उसके बाद वर के गृह में शान्तिक एवं पौष्टिक कर्म करें। • फिर पूर्व प्रक्रिया के अनुसार कन्या के घर में मातृपूजा करें। . फिर विवाह काल से पूर्व सातवें, नवें, ग्यारहवें या तेरहवें दिन वर-वधू अपने-अपने घर में मंगलगीत और वादिंत्र के साथ तेल का मर्दन कर स्नान करें। यह रीति विवाह पर्यन्त करें। • जिस दिन तेल मर्दन की क्रिया शुरू हो, उस दिन वर के घर से तेल, सिर के प्रसाधन की सामग्री, सुगंधित वस्तुएँ, द्राक्ष आदि खाद्य पदार्थ और सूखा मेवा आदि कन्या के घर भेजे जाएं। उस दिन नगर की स्त्रियाँ वर के घर और कन्या के घर तेल-धान्य आदि लेकर जाएँ। वर और कन्या के घर की वृद्ध स्त्रियाँ तेल आदि लाने वाली महिलाओं को पकवान आदि दें। • यहाँ ज्ञातव्य है कि गणेश आदि की स्थापना, कंकण बंधन और विवाह सम्बन्धी अन्य सभी विधि-प्रक्रियाएँ वर-वधू के चन्द्रबल में और विवाह सम्बन्धी नक्षत्र में करें। धूलिपूजा, करवापूजा, सौभाग्यवती नारियों द्वारा पवित्र जल लाना आदि सभी मंगल कार्य, मंगल गीत एवं वाद्य सहित अपने-अपने देशाचार और कुलाचार के अनुरूप करें। बारात विधि- जैन विचारणा के अनुसार बारात के प्रथम दिन मातृका पूजा पूर्वक सभी लोगों को भोजन कराएं। • दूसरे दिन वर स्नान करके, चंदन का लेप लगाकर, सुन्दर वस्त्र, सुगंधित पदार्थ और पुष्पमाला आदि से अलंकृत होकर, मस्तक पर मुकुट धारण कर तथा अश्व, गज या मानवगाड़ी पर आरूढ़ होकर चलें। . उसके साथ-साथ आनंद-प्रमोद करते हए सगे-सम्बन्धी व ज्ञातिजन चलें। दोनों ओर मंगलगीत गाती हुई नारियाँ चलें। • उसके आगे ब्राह्मण लोग ग्रहशान्ति मन्त्र पढ़ते हुए चलें। यह ग्रहशान्ति मन्त्र अत्यन्त भावपूर्ण एवं वर के श्रेष्ठ जीवन के लिए वरदान रूप माना गया है। वह मन्त्र निम्न है - _ “ॐ अहँ आदिमोऽर्हन्, आदिमो नृपः, आदिमो नियन्ता, आदिमोगुरु:, आदिमः स्रष्टा, आदिम:कर्ता, आदिम:भर्ता, आदिमोजयी, आदिमोनयी, आदिमः शिल्पी, आदिमो विद्वान्, आदिमो: जल्पकः, आदिमः शास्ता, आदिमो
SR No.006239
Book TitleJain Gruhastha Ke 16 Sanskaro Ka Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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