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विवाह संस्कार विधि का त्रैकालिक स्वरूप ...271 वैवाहिक नक्षत्रों में अभिषेक करने योग्य तेल, वादिंत्र, धवल-मंगल गाने वाली सौभाग्यवती नारियाँ, कुलवृद्धा स्त्रियाँ, वर और कन्या-इन दोनों पक्ष के सगे-सम्बन्धी, विवाह-मंडप, मातृपूजा, कुलकरपूजा, शान्तिक क्रिया और पौष्टिक क्रिया की वस्तुएँ, वेदी, तोरण, अर्ध्य आदि वस्तुएँ, भोज की विपुल सामग्री, कौसुंभवर्णी सूत के दो वस्त्र, ऋद्धि-वृद्धि समारोह, जवारारोपण आदि, गृहस्थ गुरु को देने योग्य वस्त्र और आभूषण, वर को देने योग्य वस्त्राभूषण, भोजन बनाने के योग्य बरतन, स्वशक्ति के अनुसार देने योग्य धन, इसके अतिरिक्त यथावश्यक अन्य वस्तुएँ।42
दिगम्बर परम्परा में विवाह संस्कार के लिए निम्नोक्त सामग्री आवश्यक मानी गई हैं43- श्रीफल-2, विनायक-1, यन्त्र, शास्त्र-1, सिंहासन-1, चमर-1, छत्र-3, अष्टमंगल, द्रव्य (ठोणा), चमर, छत्र, दर्पण, ध्वजा, झारी, कलश, पंखा), जल से भरा सफेद लोटा-1, सफेद कपड़ा एक हाथ, लाल चोल एक हाथ, फूलमाला-2, तीन कटनी वाली वेदी-1, पक्की नम्बरी ईंटें-8, सूखी काली मिट्टी-1 किलो, कुंकुम-25 ग्रा., पिसी हल्दी और मेहन्दी-25 ग्रा; लच्छा25 ग्रा., नागरवेलपान-2, सुपारी-4, हल्दी गांठ-4, सरसों-25 ग्रा., दीपक-4, रूई, माचिस-1, घी-500 ग्रा., चाटू लकड़ी का-1, लाल चन्दन की समिधा200 ग्राम, सफेद चन्दन की समिधा(लकड़ी)-400 ग्राम, बड़ पीपल-आम-ढ़ाक की सूखी समिधा-400 ग्राम देशी कपूर-15 ग्राम, पूजन द्रव्य (चावल-1 कि., नारियल गिरी (चटक-100 ग्राम) (केशर-3 ग्राम, बादाम-50 ग्राम, लौंग-10 ग्राम) पूजन उपकरण, हवन-द्रव्य (बादामगुली-25 ग्राम, खोपरा-25 ग्राम, पिस्ता-10 ग्राम, लौंग-10 ग्राम, इलायची-10 ग्राम, खारक-15 ग्राम, शक्कर का बूरा-15 ग्राम, शुद्ध दशांगधूप-75 ग्राम) थाली-4, कटोरी-2, शुद्धगादी या गलीचा-1, पाटे-4, चौकी-2, आसन-2, चवन्नी-2, सूत की माला-1, पंचरत्न-पूड़ी-11 विभिन्न संस्कृतियों में विवाह संस्कार सम्बन्धी विधि
कन्यादान(सगाई) विधि- यह जनप्रसिद्ध है कि विवाह के पहले सगाई की रस्म की जाती है। श्वेताम्बर मतानुसार उसकी विधि इस प्रकार है-सर्वप्रथम समान कुल और समान शीलयुक्त वर या कन्या की खोज करनी चाहिए। • फिर निर्णीत कुल के साथ सगाई करते समय कन्या-कुल का जो ज्येष्ठ