SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 326
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 268...जैन गृहस्थ के सोलह संस्कारों का तुलनात्मक अध्ययन 2. अप्रशस्त विवाह- इसमें गान्धर्व एवं राक्षस-विवाह को गिना है 3. स्वयंवर विवाह- इस विवाह को तीन भागों में विभाजित किया है।35 1. साधारण स्वयंवर- जब राजकन्या युवावस्था को प्राप्त हो जाए, तब राजा द्वारा स्वयंवर की घोषणा सुनकर उसमें भाग लेने के लिए आगत राजकुमारों में से कन्या की इच्छानुसार किसी एक का वरण करना साधारण स्वयंवर विवाह है। 2. सशर्त स्वयंवर- कन्या के पिता या भाई द्वारा रखी गई शौर्यपरक शर्त को पूर्ण करने वाले राजकुमार के गले में वरमाला डालकर उसे पति रूप में स्वीकार करना सशर्त विवाह है। इस विवाह में शर्त पूर्ण होने के उपरान्त वरमाला डाली जाती है। द्रौपदी का सशर्त विवाह हुआ था। 3. प्रतियोगिता स्वयंवर- कन्या की पूर्व घोषणा के अनुसार कला, विज्ञान, वेद आदि जिसमें वह निष्णात हो, उसमें पराजित करने वाले राजकुमार के साथ विवाह करना प्रतियोगिता स्वयंवर है। इनके अतिरिक्त विनिमय विवाह, सेवा विवाह, अन्तर्वर्ण विवाह, सगोत्र विवाह, असगोत्र विवाह, सप्रवर विवाह, अनुलोम विवाह, प्रतिलोम विवाह, बहुपत्नी बहुपति विवाह, पुनर्विवाह एवं बालविवाह आदि के भी उल्लेख मिलते हैं। __ ब्राह्म विवाह में कन्यादान होता है, किन्तु आसुर विवाह में लड़की के पिता या अभिभावकों को उनके लाभ के लिए शुल्क देना पड़ता है। गान्धर्व-विवाह आजकल अधिक प्रचलित हो रहे हैं, जिसमें वर और कन्या भागकर कोर्ट-मैरिज आदि कर लेते हैं। कुछ लोगों के अनुसार इस युग में पलने वाले नवयुवक एवं नवयवतियाँ गान्धर्व-विवाह की ओर उन्मख हो रहे हैं। यदि कोई विधवा स्वयं विवाह करे तो उसे गान्धर्व के रूप में ग्रहण किया जा सकता है, क्योंकि उस स्थिति में कन्यादान नहीं होता है। विवाह संस्कार करने का अधिकारी कौन? श्वेताम्बर परम्परा में यह संस्कार जैन ब्राह्मण या क्षुल्लक द्वारा करवाया जाता है। दिगम्बर परम्परा में पूर्व निर्दिष्ट गुण वाला द्विज इस संस्कार का अधिकारी माना गया है। वैदिक परम्परा में इस संस्कार का अधिकार ब्राह्मण को दिया गया है।36
SR No.006239
Book TitleJain Gruhastha Ke 16 Sanskaro Ka Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy