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________________ उपनयन संस्कार विधि का आध्यात्मिक स्वरूप ...225 स्वच्छ एवं सार्थक जीवन के प्रतीक के रूप में पूजे जाते हैं। उपनयन संस्कार विधि का तुलनात्मक अध्ययन यदि हम पूर्व विवेचन के आधार पर उपनयन संस्कार विधि एवं इसके महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं का तुलनात्मक दृष्टि से विचार करें, तो निश्चित रूप से इस संस्कार का पूर्वोत्तरकालीन एवं पारम्परिक स्वरूप स्पष्ट हो जाता है। नाम की अपेक्षा- श्वेताम्बर एवं वैदिक-दोनों परम्पराओं में इस संस्कार के नाम को लेकर पूर्ण समानता है, किन्तु दिगम्बर परम्परा इस विषय में किंचिद् मतभेद रखती है। अर्थ की दृष्टि से देखें तो तीनों एक रूप ही हैं। श्वेताम्बर एवं वैदिक परम्परा में इस संस्कार का नाम 'उपनयन' है, जबकि दिगम्बर ग्रन्थों में इसका नाम 'उपनीति' रखा गया है। क्रम की अपेक्षा- यदि हम क्रम की अपेक्षा से तुलना करें, तो उक्त तीनों परम्पराएँ भिन्न-भिन्न मालूम होती हैं। श्वेताम्बर परम्परा में उपनयन संस्कार का बारहवाँ स्थान है, दिगम्बर में यह चौदहवाँ संस्कार माना गया है तथा वैदिक परम्परा में इसका क्रम ग्यारहवाँ है। अधिकारी की अपेक्षा- श्वेताम्बर मतानुसार जैन ब्राह्मण या क्षुल्लक, दिगम्बर की मान्यतानुसार आचार्य या पिता तथा वैदिक मतानुसार मूलत: पिता एवं आचार्य को इस संस्कार का कर्ता कहा गया है। दिन की अपेक्षा- यह संस्कार, किस उम्र में किया जाना चाहिए? इस विषय को लेकर तीनों धाराओं में प्रायः समानता है। श्वेताम्बर एवं वैदिक ग्रन्थों में वर्णीय भिन्नता के आधार पर क्रमश: आठवाँ, ग्यारहवाँ और बारहवाँ वर्ष तथा दिगम्बर परम्परा ने सभी के लिए आठवाँ वर्ष इस संस्कार के योग्य माना है। विधि की अपेक्षा- उपनयन संस्कार से सम्बन्धित कुछ क्रियाएँ तीनों आम्नायों में समान रूप से की जाती हैं। जैसे-कटिभाग पर कंदोरा बांधना, कौपीन (लंगोटी) पहनना, मस्तक मुण्डाना या चोटी रखना, यज्ञोपवीत धारण करना, दण्ड रखना, वल्कल ग्रहण करना, इष्ट देवों का स्मरण एवं उनका पूजन करना इत्यादि। इस संस्कार के समय सम्पन्न किए जाने वाले कुछ विधिविधान इस प्रकार के हैं, जो पारस्परिक असमानता को सूचित करते हैं। जैसेश्वेताम्बर के अनुसार एक वेदिका का निर्माण किया जाता है। उस पर चतुर्मुखी
SR No.006239
Book TitleJain Gruhastha Ke 16 Sanskaro Ka Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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