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________________ 186... जैन गृहस्थ के सोलह संस्कारों का तुलनात्मक अध्ययन किन्हीं मतानुसार यज्ञोपवीत को कंठ में धारण कर तथा हाथ को घुटने की तरफ लम्बा करने पर हाथ जितना लम्बा हो, उतना ही लम्बा करना चाहिए । यज्ञोपवीत की गांठ कैसी हो? यज्ञोपवीत की गांठ अनेक प्रकार की होती हैं। प्रतिमाधारी श्रावक और ब्राह्मण को ब्रह्मगांठ ( माला के दाना जैसी गोल गांठ) का यज्ञोपवीत पहनना चाहिए। जो लोग यज्ञोपवीत नहीं बना सकते हैं, वे बाजार का नवतार का यज्ञोपवीत पहन सकते हैं। उपवीत की संख्या - दिगम्बर मतानुसार विद्यार्थी को तथा नियतकाल तक ब्रह्मचर्य धारण करने वालों को एक, गृहस्थ को दो, जिनके पास दुपट्टा न हो उन गृहस्थों को तीन, जिसे अधिक जीवित रहने की इच्छा हो, वह दो या तीन और जिस व्यक्ति को पुत्रेच्छा है या धार्मिक आराधना करने की इच्छा है, वह पाँच यज्ञोपवीत धारण कर सकता है। एक यज्ञोपवीत पहन कर जप, होम आदि किए जाएं तो उन्हें निष्फल माना गया है | 32 यहाँ ज्ञातव्य है कि एक-एक यज्ञोपवीत के लिए पृथक् पृथक् मन्त्र पढ़ना चाहिए। यदि एक बार मंत्र पढ़कर दो, तीन या पाँच यज्ञोपवीत धारण कर लिए जाएं तो किसी एक के टूटने या अशुद्ध होने पर शेष भी टूटे हुए या अशुद्ध समझ लिए जाते हैं अतः प्रत्येक यज्ञोपवीत को पुनः पुनः मन्त्र पढ़कर पहनना चाहिए। उपवीत कैसा हो ? जैन धर्म की दिगम्बर शाखा में ब्राह्मणों के लिए सूत का, राजाओं के लिए सुवर्ण का और वैश्यों के लिए रेशम का यज्ञोपवीत धारण करने का उल्लेख है | 33 उपवीत किसका प्रतीक ? दिगम्बर परम्परा में 'नवतंतु' 1. अरिहंत 2. सिद्ध 3. आचार्य 4. उपाध्याय 5 साधु 6. जिनधर्म 7. जिनागम 8. जिनचैत्य और 9. जिनप्रतिमा रूप देव-गुरु-धर्म की आराधना का और 'तीन लड़' रत्नत्रय को साक्षात् प्रकट करने का प्रतीक माना गया है। 34 उपवीत (जनेऊ) की निर्माण विधि- दिगम्बर साहित्य में उपवीत बनाने की निम्न विधि प्राप्त होती है - वहाँ जनेऊ 96 चौक ( चार अंगुलियों को एक साथ जोड़ना चौक कहलाता है) का होता है। इस प्रकार एक चौक के तीन अविच्छिन्न तंतु सौभाग्यवती स्त्री या कन्या के हाथ से काते हुए होने चाहिए। उसकी एक लड़ करनी चाहिए ।
SR No.006239
Book TitleJain Gruhastha Ke 16 Sanskaro Ka Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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