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________________ नामकरण संस्कार विधि का प्रचलित स्वरूप ...129 • तदनन्तर ज्योतिषी लग्न का सम्पूर्ण वर्णन कुंकुम अक्षर से पत्र में लिखकर कुल ज्येष्ठ को अर्पित करें तथा जन्म नक्षत्र के अनुसार नामाक्षर बताएं। उस समय बालक का पिता अपनी शक्ति के अनुसार वस्त्र आदि प्रदान कर ज्योतिषी का सम्मान करें। • तत्पश्चात् गृहस्थ गुरु सर्वानुमति से परमेष्ठी मंत्र का स्मरण करते हुए कुल वृद्धा के कान में जाति एवं कुलोचित नाम कहे। फिर परमात्मा के समक्ष बालक का नाम प्रकट करे। यदि चैत्य न हो, तो गृहमन्दिर की प्रतिमा के आगे यह विधि करनी चाहिए। • उसके बाद सभी पौषधशाला में जाएं। वहाँ भोजन मंडली के स्थान पर मंडलीपट्ट को स्थापित कर उसकी पूजा करें। मंडलीपट्ट की पूजा विधि यह हैपुत्र की माता 'श्री गौतमाय नमः' ऐसा उच्चारण करती हुई गंध, नैवेद्य आदि द्वारा पट्ट की पूजा करें। फिर मंडलीपट्ट के ऊपर 10 स्वर्णमुद्रा, 10 रौप्यमुद्रा, 108 सुपारी, 29 नारियल, 29 हाथ वस्त्र रखे। फिर पुत्र सहित गुरु की तीन प्रदक्षिणा देकर नमस्कार करें। नौ स्वर्ण एवं नौ रौप्य मुद्राओं द्वारा गुरु की नवांगी पूजा करें। • फिर माता गुरु भगवन्त से वासदान करने का निवेदन करें। तब गुरु ऊँकार, ह्रींकार, श्रीकार से वासचूर्ण को सन्निहित कर, वर्धमानविद्या एवं कामधेनु मुद्रा पूर्वक अभिमन्त्रित कर माता-पुत्र के मस्तक पर डालें तथा शिशु के मस्तक पर 'ॐ ही श्री के अक्षरों का सन्निवेश कर उसका नामकरण करे। • फिर गुरु को आहार आदि तथा विधिकारक गुरु को वस्त्र, अलंकार आदि प्रदान कर गृहगमन करे। दिगम्बर- दिगम्बर मतानुसार आदिपुराण में नामकरण संस्कार की निम्न विधि प्राप्त होती है-बालक के जन्मदिन से बारह दिन के बाद जो दिन मातापिता एवं पुत्र के लिए अनुकूल हो, सुख देने वाला हो, उस दिन यह संस्कार सम्पन्न करें। इस संस्कार में अपनी संपदा के अनुसार अरिहन्त परमात्मा और गुरुजनों की पूजा करें। फिर विधिकारक ब्राह्मण का यथायोग्य सत्कार करें। उसके बाद नवजात शिशु वंश की वृद्धि करने वाला हो- ऐसा उत्तम नाम रखें अथवा घटपत्र की विधि पूर्वक बालक का नामकरण करें। घटपत्र की विधि इस प्रकार ज्ञातव्य है-प्रथम भगवान् के एक हजार आठ नामों का एक हजार आठ कागज के टुकड़ों पर स्वर्ण अथवा अनार की कलम से अष्ट गन्ध द्वारा लिखें। फिर उनकी गोली बना लें और पीले वस्त्र तथा नारियल आदि से ढके हुए एक घड़े
SR No.006239
Book TitleJain Gruhastha Ke 16 Sanskaro Ka Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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