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________________ 110...जैन गृहस्थ के सोलह संस्कारों का तुलनात्मक अध्ययन संमिश्रित रूप होने से इसका महत्त्व शतगुना बढ़ जाता है। इससे सुस्पष्ट है कि षष्ठी संस्कार का अस्तित्व स्वतन्त्र और सर्व ग्राह्य है। श्वेताम्बरमान्य आचारदिनकरकृत षष्ठी संस्कार की अपनी कई विशिष्टताएँ हैं नाम की दृष्टि से- इस संस्कार का 'षष्ठी' नाम रखने के पीछे कई रहस्य हैं। सामान्यतया यह संस्कार जन्म से छठवें दिन में किया जाता है और इसमें षष्ठी माता(अंबिकादेवी) की पूजन पूर्वक आराधना की जाती है। कुछ लोग चामुण्डा और त्रिपुरा को छोड़कर शेष छ: माताओं का ही पूजन करते हैं। इस प्रकार 'षष्ठी' नाम में अनेक अर्थ अन्तर्निहित किए गए हैं। काल की दृष्टि से- इस संस्कार का काल कुलोचित व्यवहार का परिपालन एवं दैहिक शुद्धि की दृष्टि से सर्वथा उचित लगता है। यह काल निर्धारण आगम सम्मत भी है। मन्त्र की दृष्टि से- आचार्य वर्धमानसरि ने इस संस्कार को मन्त्र प्रधान बना दिया है। इसमें प्रत्येक माताओं के आह्वान, संनिधान, स्थापन एवं पूजन करने सम्बन्धी पृथक्-पृथक् मन्त्र दिए गए हैं। साथ ही आशीर्वाद मन्त्र का भी उल्लेख है। मन्त्र प्रयोग के आधार पर संस्कार कर्म का प्रभाव और परिणाम दोनों का अतिशय बढ़ जाता है। विधि की दृष्टि से- श्वेताम्बर परम्परा में मान्य यह संस्कार विधि पूर्णत: आगमिक एवं कुल परम्परा से जुड़ी हुई है। इस विधि का प्रत्येक चरण अपनीअपनी परम्परा का निर्वाह करने को उत्प्रेरित करता है तथा परम्परा का पालन करना एक बहुत बड़ा सूत्र है। श्वेताम्बर आम्नाय में स्वीकृत यह संस्कार विधि अनेक दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण एवं सर्वांगीण है। इस संस्कार विधि का स्वतन्त्र अस्तित्व पूर्ण सुरक्षित एवं अनुकरणीय है। उपसंहार जैन परम्परा में बालक के जन्म से छठवें दिन में विधि-विधान एवं मंत्रोच्चार पूर्वक सुसम्पन्न किए जाने वाला षष्ठी संस्कार अत्यन्त प्राचीन मालूम होता है। इस संस्कार के बीज आगम ग्रन्थों में सुस्पष्ट देखने को मिलते हैं। इससे निश्चित है कि इस संस्कार का प्रादुर्भाव आगमयुग में हो चुका था। यद्यपि इतना अवश्य है कि जैन आगम साहित्य के काल में इस संस्कार का स्वरूप सामान्य
SR No.006239
Book TitleJain Gruhastha Ke 16 Sanskaro Ka Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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