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________________ 86... जैन गृहस्थ के सोलह संस्कारों का तुलनात्मक अध्ययन नहीं रहा, अपितु इतर व्यक्तियों को भी वह स्थान प्राप्त हो गया। संस्कारप्रकाश में कहा गया है कि पति की अनुपस्थिति में गर्भाधान को छोड़कर सभी संस्कार किसी सम्बन्धी द्वारा किए जा सकते हैं।" इस वर्णन से यह स्पष्ट हो जाता है कि वैदिक5- परम्परा में इस संस्कार का मूल कर्ता पति को माना गया है। सूर्य-चन्द्र दर्शन संस्कार के लिए मुहूर्त विचार श्वेताम्बर, दिगम्बर एवं वैदिक - तीनों परम्पराओं के अनुसार यह संस्कार किस शुभ दिन में करना चाहिए, इस सम्बन्ध में कोई उल्लेख नहीं मिलता है, केवल समय की अवधि का निर्देश किया गया है। सूर्य-चन्द्र दर्शन संस्कार का काल निर्णय यह श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार यह संस्कार जन्म के तीसरे दिन किया जाता है।7 दिगम्बर परम्परा के अनुसार इस संस्कार को दो, तीन या चार माह के बाद किसी शुभ दिन में सम्पन्न करना चाहिए | वर्तमान में यह संस्कार जन्म होने के बाद लगभग 15 दिन से 45 दिन के भीतर कर लेते हैं। वैदिक परम्परा में इस संस्कार का काल जन्म के बाद बारहवें दिन से लेकर चतुर्थ मास तक माना गया है। 10 गृह्यसूत्रों एवं स्मृतियों में इसके काल सम्बन्धी भिन्न-भिन्न उल्लेख मिलते हैं। बृहस्पतिस्मृति में इस संस्कार का काल बारहवाँ दिन कहा गया है । 11 काल-गणना तभी संभव है, जब नामकरण के साथ यह संस्कार सम्पन्न किया जाता हो। गृह्यसूत्रों एवं स्मृतियों के अनुसार जन्म के तीसरे या चौथे महीने में यह संस्कार किया जाना चाहिए। यमग्रन्थ में यह निर्देश है कि तृतीय मास में शिशु को सूर्य का दर्शन कराना चाहिए और चतुर्थ मास में चन्द्र का दर्शन करवाया जाना चाहिए। 12 आश्वलायनगृह्य सूत्र में यह उल्लेख है कि किसी कारण वश यह संस्कार उपर्युक्त अवधि के भीतर सम्पन्न नहीं हो पाता है तो अन्नप्राशन संस्कार के साथ अवश्य किया जाना चाहिए। 13 ज्योतिष के अनुसार आपत्तिजनक तिथियों को छोड़कर उक्त विकल्पों के साथ माता-पिता की सुविधा एवं बालक की स्वास्थ्य-रक्षा को ध्यान में रखते हुए यह संस्कार किया जाना चाहिए। हम देखते हैं कि तीनों परम्पराओं में इस संस्कार को निष्पन्न करने के भिन्न-भिन्न काल बताए गए हैं।
SR No.006239
Book TitleJain Gruhastha Ke 16 Sanskaro Ka Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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