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________________ 28...शोध प्रबन्ध सार विषय वस्तु का संक्षिप्त एवं सारभूत वर्णन किया है। इस अध्याय में किया गया वर्णन व्रत ग्रहण सम्बन्धी साहित्य के आलोडन में सहायक बनेगा यही अभ्यर्थना है। इस खण्ड का सातवाँ अध्याय समाधिमरण सम्बन्धी साहित्य सूची को प्रस्तुत करता है। साधना का अंतिम चरण समाधि युक्त अवस्था में मृत्यु की प्राप्ति है। जैन ग्रन्थकारों ने इस विषय पर कई रचनाएँ की है। इस अध्याय में समाधिमरण सम्बन्धी 31 मौलिक ग्रन्थों की तात्त्विक चर्चा की गई है। ___ प्रायश्चित्त दोष विमुक्ति का अनुपम साधन है। हर धर्म परम्परा में इस विषयक कोई न कोई मार्ग अवश्य बताया गया है। जैन ग्रन्थकारों ने प्रायश्चित्त ग्रहण को रहस्यमयी एवं अद्भुत प्रक्रिया माना है। इसका उल्लेख प्राय: हर सदी के आचार्यों ने किया है। ऐसे ही कुछ प्रसिद्ध एवं प्रामाणिक 47 ग्रन्थों का शोधपरक वर्णन इस आठवें अध्याय में किया गया है। यह विवरण आत्मशुद्धि के मार्ग पर आरूढ़ साधकों एवं पाप विशोधक भव्य जीवों के लिए लक्ष्य प्राप्ति में माईल स्टोन साबित होगा। नौवें अध्याय में वर्णित विषय साधना के मुख्य आधार है। इसके संयोग से ही विधि-विधानों में पूर्णता एवं सफलता प्राप्त होती है। इस अध्याय में योग, मुद्रा एवं ध्यान सम्बन्धी विधि विधान परक साहित्य की सूची प्रस्तुत की गई है। जैन साहित्य परम्परा में यूं तो अनेक ग्रन्थ इस संदर्भ में प्राप्त होते हैं। परंतु प्रस्तुत अध्याय में मुख्य 27 ग्रन्थों की विस्तृत चर्चा की गई है। जिसके द्वारा साधक वर्ग उन कृतियों की विषय वस्तु, रचयिता एवं रचनाकाल आदि से परिचित हो पाएंगे। दसवें अध्याय का विषय है पूजा एवं प्रतिष्ठा सम्बन्धी विधि-विधान मूलक साहित्य सूची। पूजा-प्रतिष्ठा यह क्रियाकांड मूलक विधानों में विधिविधानों की आत्मा है। सर्वाधिक विधि-विधानों का उल्लेख इसी कार्य के लिए किया गया है। जैन साहित्यकारों ने इसी तथ्य को ध्यान में रखकर प्रस्तुत विषय पर शताधिक ग्रन्थों की संरचना की। इस अध्याय में पूजा सम्बन्धी 133 एवं प्रतिष्ठा विषयक 42 प्रमुख ग्रन्थों की स्वतंत्र चर्चा की गई है। इस चर्चा का ध्येय पूजा-प्रतिष्ठा आदि भक्ति विधानों की सूक्ष्मता एवं यथार्थता से परिचित करवाना है।
SR No.006238
Book TitleJain Vidhi Vidhano Ka Tulnatmak evam Samikshatmak Adhyayan Shodh Prabandh Ssar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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