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________________ शोध प्रबन्ध सार ...27 इस कृति में वर्णित तीसरा अध्याय साध्वाचार सम्बन्धी विधि-विधान परक साहित्य सूची को प्रस्तुत करता है। आगम काल से लेकर वर्तमान इक्कीसवीं सदी के मुख्य चर्चित 27 मौलिक ग्रन्थों की विवेचना इस अध्याय में अकारादि क्रम से की गई है । ग्रन्थों का रचनाकाल, रचयिता एवं संक्षेप में सारभूत तथ्यों का उल्लेख इसे और भी अधिक प्रासंगिक बनाता है। श्रमणाचार के विविध पक्षों को उद्घाटित करने में यह अध्याय विशेष सहायक बने यही इस कृति का ध्येय है। षडावश्यक जैन विधि-विधानों में महत्त्वपूर्ण एवं दैनिक आराधना सम्बन्धी आवश्यक क्रिया है। साधु एवं श्रावक दोनों के लिए इनका नियमित आचरण जरूरी है। इसी महत्ता को ध्यान में रखते हुए चौथे अध्याय में षडावश्यक एवं प्रतिक्रमण सम्बन्धी मौलिक ग्रन्थों का प्रामाणिक उल्लेख किया गया है। जैन परम्परागत विविध संप्रदायों एवं षडावश्यक के रहस्यों से सम्बन्धित विविध पुस्तकों का ज्ञान इस अध्याय के माध्यम से हो सकेगा। प्रतिक्रमण के रहस्य एवं तज्जनित क्रियाओं के विकास आदि के विषय में रुचिवंत साधकों के लिए यह सूची अनमोल खजाने के समान सहायक बनेगी। पाँचवां अध्याय तप से सम्बन्धित है। इस अध्याय में जैन साहित्य में चर्चित विविध तप सम्बन्धी साहित्य सूची का वर्णन किया गया है। तप, जैन साधना का विशिष्ट अंग है। इसे कर्म निर्जरा का एकमेव महत्त्वपूर्ण मार्ग माना गया है। आज भी अन्य संप्रदायों की तुलना में जैन धर्म में आराधित तप सर्वोत्कृष्ट माना जाता है। आगम युग से आज के परमाणु युग तक तप विधान सम्बन्धी विशद साहित्य की रचना हुई है। प्रस्तुत अध्याय में तप विषयक 44 मुख्य कृतियों का विषय वस्तु सहित वर्णन किया गया है। इस चर्चा के माध्यम से जन मानस तप के विस्तृत एवं यथोक्त स्वरूप से सहजतया परिचित हो सकेगा। जैन विधि-विधानों में व्रतारोपण एक आवश्यक चरण है। तीर्थ की स्थापना व्रत ग्रहण के बाद ही होती है। व्रतग्राही श्रावकों की अनुपस्थिति के कारण ही भगवान महावीर की प्रथम देशना निष्फल हुई थी अतः स्पष्ट होता है कि व्रत ग्रहण जैन जीवन शैली का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष है। छठें अध्याय में इस विषयक 70 ग्रन्थों का उल्लेख करते हुए उनकी
SR No.006238
Book TitleJain Vidhi Vidhano Ka Tulnatmak evam Samikshatmak Adhyayan Shodh Prabandh Ssar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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