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________________ शोध प्रबन्ध सार ...75 का ऐतिहासिक विकास क्रम आदि विषयों पर तात्त्विक चर्चा की है। पंचम अध्याय गणावच्छेदक पद स्थापना विधि से सम्बन्धित है। यद्यपि वर्तमान में गणावच्छेदक पद की व्यवस्था समाप्त हो चुकी है। परन्तु श्रमण परम्परा में गणावच्छेदक एक महत्त्वपूर्ण पद है। श्रमण संघ का सुव्यवस्थित संचालन करने के लिए इस पद की आवश्यकता स्वीकारी गई है। यह मुनि संघ की प्रत्येक अपेक्षाओं को पूर्ण करने में सदैव तत्पर और उद्यमशील होते हैं। संघ की आन्तरिक व्यवस्थाओं का पूर्ण दायित्व इन्हीं पर होता है। शास्त्रों में संघीय कृत्यों को त्वरा से करने वाले एवं संयमी साधकों के लिए उपधि आदि उपकरणों की यथोचित व्यवस्था करने वाले गीतार्थ मुनि को गणावच्छेदक कहा है। ____वर्णित अध्याय में गणावच्छेदक शब्द का प्राचीन स्वरूप व्याख्यायित करते हुए जैन संघ के लिए इस पद की मूल्यवत्ता का अंकन किया है। पूर्वोक्त अध्यायों के समान ही इस अध्याय में गणावच्छेदक पदस्थापना सम्बन्धी विविध पहलुओं पर विचार किया है। ___ इस खण्ड के षष्ठम अध्याय में गणी पद स्थापना विधि का सम्मुल्लेख किया गया है। गणि पद आचारचूला में निर्दिष्ट सात पदों में से पाँचवां पद है। गण का नायक गणि या गच्छाधिपति कहलाता है। वर्तमान में यह पद भिन्न अर्थ में रुढ़ है तथा इसे आचार्य की अपेक्षा निम्नकोटि का माना जाता है। इस अध्याय में गणि शब्द की समीक्षा करते हुए गण धारण योग्य शिष्य की परीक्षा विधि, गणि पदस्थ के लिए आवश्यक योग्यताएँ, गणिपद की परम्परा का मौलिक इतिहास, नूतन गच्छाचार्य को हित शिक्षा दान जैसे अनेक विशिष्ट तथ्यों पर विचार किया गया है। सप्तम अध्याय में उपाध्याय पद स्थापना विधि का विस्तृत प्रतिपादन करते हुए इस पद का वैज्ञानिक मूल्य उजागर किया गया है। जैन पद व्यवस्था में उपाध्याय पद का विशिष्ट स्थान है। उपाध्याय को ज्ञान के अधिदेवता, संघ रूपी नन्दनवन के कुशल माली, ज्ञान रूपी वृक्ष का सिंचन करने वाले अधिनायक एवं आगम पाठों को सुरक्षित रखने वाले सुयोग्य शिल्पी कहा गया है। अज्ञानियों को ज्ञानदान करने का पुण्यतम कार्य उपाध्याय करते हैं।
SR No.006238
Book TitleJain Vidhi Vidhano Ka Tulnatmak evam Samikshatmak Adhyayan Shodh Prabandh Ssar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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