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महाकवि ज्ञानसागर के संस्कृत काव्य ग्रन्थों के संक्षिप्त कथासार
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सामने प्राग जला दी भोर स्वयं भी बैठ गया । वह सारी रात प्राग जलाता हुआ वहीं बैठा रहा । प्रातः काल होने पर साधु की समाधि भंग हुई। उन्होंने बालक को देखा और प्रसन्न होकर 'नमो' मन्त्र का उपदेश दिया। साथ ही यह भी प्रदेश दिया कि वह प्रत्येक कार्य के पूर्व इस मन्त्र का स्मरण कर लिया करे । बालक मुनि को प्रणाम करके घर लौट आया और उनकी प्राज्ञा के अनुसार अपना जीवन-यापन करने लगा ।
एक दिन वह गाय-भैंसों को चराने लिए जंगल गया हुआ था । वहाँ एक भैंस सरोवर में घुस गई । उसको निकालने के लिए वह मंत्रस्मरणपूर्वक सरोवर में कूदा । सरोवर में एक लकड़ी की नोक से चोट लगने के कारण उसकी मृत्यु हो गई । उस महामन्त्र के प्रभाव से वही बालक सेठ वृषभदास के घर में पुत्र बन कर अर्थात् तुम्हारे रूप में उत्पन्न हुआ है ।
वह भीलनी भी मरकर भैंस हुई। तत्पश्चात् धोबिन बनी। उस धोबिन ने हिंसा एवं सर्वपरिग्रह का परित्याग करके आर्थिक व्रत को अपना लिया । अपने निर्मल-स्वभाव, सत्यवादिता इत्यादि गुणों के कारण वह पुनः तुम्हारी पत्नी हुई है । प्रत. इस समय तुम दोनों धर्मानुकूल प्राचरण करते हुये सुखपूर्वक अपना जीवन बिताओ।
मुनिराज की इस प्रकार वाली सुनकर सुदर्शन और मनोरमा, दोनों ही, मुनि द्वारा बताये गये नियमों का पालन करते हुये मुख पूर्वक जीवन यापन करने लगे । पंचम सर्ग
एक दिन प्रातः काल सुदर्शन जिनदेव का पूजन करके लौट रहा था। मार्ग में कपिला ब्राह्मणी ने उसको देखा। सुदर्शन के तेजस्वी स्वरूप को देखकर उसका मन स्थिर न रह सक। । ग्रतएव उसने सुदर्शन को छल से बुलाने का निश्चय किया। उसकी दासी सुदर्शन के समीप गई और उससे बोली कि हे महापुरुप ! तुम यहाँ निश्चिन्त हो; लेकिन तुम्हारा मित्र अस्वस्थ हो रहा है।
दासी की बात सुनते ही मित्र को देखने की इच्छा से सुदर्शन दासी के साथ कपिला ब्राह्मणी के घर पहुँचा । दासी के दिशा-निर्देश से वह भवन के उस कक्ष में गया जहाँ कपिला ब्राह्मणी लेटी थी ।
सुदर्शन के कुशल समाचार पूछने पर कपिला ने रतिचेष्टायुक्त मधुरवाणी में स्वागत करते हुये उसका हाथ पकड़ लिया। सुदर्शन अपने पुरुष मित्र के स्थान पर एक रतिकामा स्त्री को देखकर बहुत घबराया । किन्तु उसने अपने को नपुंसक बताकर कपिला ब्राह्मणी से पीछा छुड़ाया और शीघ्रता से घर लौट माया ।
षष्ठ सर्ग
जन-जन के मन को लुभाने वाले ऋतुराज वसन्त का आगमन हुआ । चम्पापुरी के सभी निवासी प्राकृतिक सुषमा और कोयल के पंचम स्वर से प्राकृष्ट