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महाकवि ज्ञानसागर के काव्य-एक अध्ययन वर्षा-ऋतु के सुखद वातावरण से परिपूर्ण एक दिन, रात्रि के अन्तिम समय में, रानी ने क्रमशः सोलह स्वप्नों को देखा। तत्काल ही प्रात: कालीन स्तुतियों से उसकी निद्रा टूटी । प्रातः कालीन कृत्यों से निवृत्त होकर, अपने सुन्दर शरीर को माभूषणों से सज्जित करके, सहेलियों के साथ, अपने स्वप्न सुनाने मोर उन स्वप्नों का पभिप्राय जानने की इच्छा से वह अपने पति राजा सिद्धार्थ के पास गई । राजा मे रानी को अपने समीप आसन पर बैठाया, तब रानी ने अपने सोलहों स्वप्न राजा को कह सुनाये । राजा ने रानी को क्रमशः उन स्वप्नों का फल इस प्रकार बताया :पहिले स्वप्न में तुमने ऐरावत हाथी देखा है। इसका तात्पर्य है कि तुम्हारा
पुत्र मदस्रावी गज के समान महादानी होगा। दूसरे स्वप्न में तुमने वृषभ देखा है। इसका फल है कि तुम्हारा पुत्र धर्म की
धुरी को धारण करने में समर्थ होगा। तीसरे स्वप्न में तुमने सिंह को देखा है। इसका अर्थ है कि तुम्हारा पुत्र
उन्मत्तों एवं मूखों के गर्व का दलन करने वाला होगा। चौथे स्वप्न में गजलक्ष्मी देखने का फल है कि तुम्हारा पुत्र इन्द्रादि वेवतामों
द्वारा सुमेरु पर्वत के शिखर पर अभिषिक्त होगा। पांचवे स्वप्न में तुमने गुंजन करते हुये भ्रमरों से युक्त दो मालाएँ देखी हैं।
यह स्वप्न इस बात का सूचक है कि तुम्हारा पुत्र अपनी यशःसुरभि से जगन्मण्डल को सुरभित करने वाला और योग्य व्यक्तियों से सम्मानित
होगा। छठे स्वप्न में तुमने चन्द्रमा देखा है; जो इस बात का सूचक है कि तुम्हारा
पुत्र सभी कसामों में पारंगत होगा और अपने धर्मरूप अमृत से जगत्
का सिंचन करेगा। सातवें स्वप्न में सूर्य देखने का फल है कि तुम्हारा पुत्र लोगों के हृदय-कमल
का विकासक, प्रज्ञानरूप अन्धकार का हन्ता एवं परमप्रतापी होगा। पाठवें स्वप्न में तुमने जल से परिपूर्ण दो कलश देखे हैं। फलस्वरूप गर्भस्थ
शिशु, लोगों का परमकल्याण करने वाला एवं तृष्णातुर लोगों के लिए
अमृत रूप सिद्धि को देने वाला होगा। नवे स्वप्न में तुमने जल में क्रीड़ा करती हुई दो मछलियां देखी हैं । फलस्वरूप
तुम्हारा पुत्र अपनी सुन्दर चेष्टामों से स्वयं प्रसन्न रह कर जनता को
हर्षित करेगा। दसवें स्वप्न में तुमने आठ हजार से अधिक कमलों से युक्त सरोबर देखा है ।
फलस्वरूप तुम्हारा पुत्र सुन्दर १००८ लक्षणों से युक्त होगा; एवं लोगों के दुल एवं पाप का नाशक होगा।