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________________ महाकषि मानसागर के काव्य-एक अध्ययन काम्यग्रन्थों का प्रकाशन हुमा।' अजमेर चातुर्मास के अवसर पर ही मुनि श्री ज्ञानसागर ने स्वरचित महाकाव्य 'जयोदय' की संस्कृत एवं हिन्दी टोका भी मिली, जिसका प्रकाशन प्रभी वाराणसी में हो रहा है । महाकवि मानसागर के प्रमुख शिष्य : श्रीमानसागर के प्रमुख शिष्यों की संख्या ६ है; और उनके नाम क्रमशः इस प्रकार हैं :-मुनिश्री विद्यासागर, क्षुल्लक स्वरूपानन्द, प्र. लक्ष्मीनारायण माल, मुनि श्री १०८ श्री विवेकसागर, ब० जमनलाल जी, मुनि श्री १०८ श्री विजयसागर जी, ऐलक पी १.५ श्री सम्मतिसागर जी, क्षुल्लक सुखसागर जी एवं श्री १०५ क्षुल्लक संभव-सागर जी । इनमें से प्रथम पांच शिष्यों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है :१. मुनि श्री विद्यासागर विक्रम संवत् २०२४ (सन् १०६७ ई.) के पूर्व ही किशनगंज (मदनगंज) चातुर्मास के अवसर पर ब्रह्मचारी जी पण्डित विद्याकुमार जी सेठी (अजमेर) ने मुनि श्री ज्ञानसागर जी से मैसूर प्रांत के बेलगांव जिले में सदलगा नामक ग्राम में उत्पन्न ब्रह्मचारी विद्याधर का परिचय कराया। विक्रम संवत् २०२४ (सन् १९६७ ई०) में ब्रह्मचारी विद्याधर मुनि श्री ज्ञानसागर के पास ही रहे । हिन्दी एवं संस्कृत भाषामों से अनभिज्ञ विद्याधर ने पं० महेन्द्र कुमार जी पाटणो, काव्यतीर्थ, किशनमढ़ (मदनगंज) और मुनि श्री ज्ञानसागर जी महाराज से इन दोनों शाखामों का ज्ञान प्राप्त किया। मुनि श्री मानसागर जी के सान्निध्य में रह कर विद्याधर के हृदय में वैराग्य की भावना भी प्रबलतर होती गई । वि० संवत् २०२५ (सन् १९६७ ई.) में अजमेर नगर में मुनि श्री ज्ञानसागर ने ब्र० विद्याधर को इच्छा के अनुरूप उन्हें निग्रंन्ध मुनि-दीक्षा दे दी। इस समय से उनको 'विद्यासागर'- इस नाम से जाना जाने लगा। इस समय विद्याधर जी की पायु केवल २२ वर्ष थी। २. ब्रह्मचारी लक्ष्मीनारायण जी सन् १९६८ ई. के मक्तूबर मास में ब्रह्मचारी लक्ष्मीनारायण जी को मुनि १. पं. होरालाल सिदान्तशास्त्री, बाहुबलोसन्देश, पृ० सं० १३ २. ७.५० विद्याकुमार जी सेठी, वही, पृ० सं० ३५ ३. (क) श्री इन्द्र प्रभाकर जैन, जैनसिद्धान्त, १० सं० १०-११ (ख) मुनिसंघव्यवस्थासमिति, नसीराबाद (राज.), श्री शानसागर जी महाराज का संक्षिप्त जीवन परिचय', पु. सं. ३ ४. पंचम्पालाल जी, जैन सिद्धान्त, पृ. सं० १०-११ ५. में पं० लामबहादुर शास्त्री, जन गजट, १० सं० १
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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