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________________ महाकवि ज्ञानसागर का जीवन वृत्तान्त ११. विक्रम संवत् २०१८ (सन् १६६१ ई० ) में वय अधिक होने के कारण शारीरिक दुर्बलता से पीड़ित होने के बावजूद भी संघ से निकल कर राजस्थान के नागरिकों में जैन धर्म का प्रचार करने लगे । १. मुनि दीक्षा लेने के बाद मुनि श्रीज्ञानसागर अनेक स्थानों पर गये । वहाँ उनके प्रवचनों से प्रभावित होकर अनेक श्रद्धालु त्याग की भावना से उनके पास धाया करते थे । वि० संवत् २०२१ (सन् १९६४ ई० ) में मुनिश्री ने मेढा ग्राम में दिल्लीवासी श्री फिरोजीलाल जी को श्रावकोत्तम क्षुल्लक दीक्षा प्रदान की । २ मुनि श्री ज्ञानसागर जी ने जैन-धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु अनेक स्थलों पर चातुर्मास भी किये। वि० संवत् २०२१ । (सन् १९६४ ई०) में ही उन्होंने फुलेरा ( राजस्थान ) में चातुर्मास हेतु प्रस्थान किया । 3 विक्रम संवत् २०२२ (सन् १९६५ ई०) मुनि श्री ज्ञानसागर के जीवन का महत्त्वपूर्ण वर्ष है । इस वर्ष प्रापने अजमेर नगर में चातुर्मास किया। इसी नगर में फतेहपुर निवासी श्री सुखदेव जी गोधा भोर जयपुर निवासी श्री मूलचन्द जी बोहरा को उन्होंने श्रावकोत्तम क्षुल्लक दीक्षा प्रदान की । * तत्पश्चात् विहार करते हुए वह व्यावर गये । वहाँ की जनता मुनिश्रीज्ञानसागर के भाने से प्रसन्न हो गई। उन्होंने बहाँ तीन मास व्यतीत किये। पं० हीरालाल सिद्धान्तशास्त्री जी की मुनि श्री ज्ञानसागर से यहां भी भेंट हुई । सिद्धान्तशास्त्री जी ने उनके ग्रन्थों के प्रकाशनादि के विषय में उनसे चर्चा की। किन्तु मुनिश्री ने इस विषय में कोई प्रादेश नहीं दिया, क्योंकि इस कार्य में धन की प्रावश्यकता थी । प्रतः श्री सिद्धान्तशास्त्री कुछ निराश हुए। उन्होंने अपनी यही इच्छा प्रपने सहयोगियों के समक्ष प्रकट की, तो सभी के सहयोग के परिणाम स्वरूप 'मुनि श्री ज्ञानसागर ग्रन्थमाला' की स्थापना हुई; धौर मुनि श्री द्वारा रचित दयोदय, वीरोदय इत्यादि (च) "संवत् दो हजार सोलह में, जयपुर नगर लानियों मांय । शिवाचार्य से दीक्षा लेकर, ज्ञानसिंधु मुनिराज कहाय || ६ || " - प्रभुदयाल जैन, बाहुबलीसन्देश, पृ० सं० १५ (ङ) मुनिसंघव्यवस्था समिति, नसीराबाद (राज0), श्री ज्ञानसागर जी महाराज का संक्षिप्त जीवन परिचय, पृ० सं० ४ १. श्री इन्द्र प्रभाकर जैन, 'वीरोदय, (मासिक प्रपत्र ) - पृ० सं० १ २. बही ३. श्रीमालीन वेद्य, मुनिपूजन में से । ४. पं० हीरालाल सिद्धान्तशास्त्री, बाहुबलीसन्देश पृ० सं० १३ ५. श्री इन्द्रप्रभाकर जैन, बोरोदम (मासिक प्रपत्र ), पृ० सं० १
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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