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________________ महाकवि ज्ञानसागर का बीवन वृत्तान्त इसी समय प्रकाशित हुए सिद्धान्तग्रन्थ श्रीधवल, जयधवल, महाबन्ध का गम्भीर स्वाध्याय किया।' धीरे-धीरे. भूरामल के मन में विरक्तभाव और भी बढ़ा, फलस्वरूप वि० संवत् २०१२ (सन् १९५५ ई०) में मनसुरपुर (रेनवल) में उन्होंने वीरसागर जी महाराज के समीप क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण कर ली। तदनन्तर बहुत सा समय हिसार में बिताकर भारत के प्रमुख नगरों में भ्रमण किया, मोर प्राचार्य श्री नमिसागर जी महाराज का सान्निध्य भी प्राप्त किया। इसी बीच उनके द्वारा रचित "सम्यक्त्वसारशतक' का भी प्रकाशन हमा।' १. पं० हीरालाल सिद्धान्तशास्त्री, दयोदयचम्पू, प्रस्तावनाभाग, पृ० स० प । २. गृहस्पः प्राप्य वैराग्यं देहभोगभवादिषु । त्यक्त्वा गृहं कुटुम्बं च प्रागाद्यो मुनिसन्निधिम् ॥ माराध्य मुनिसत्पादौ शकभूपेन्द्रपूजितो। गृहीत्वा क्षुल्लकों दीक्षां खण्डवस्त्रसमन्विताम् ।। गुरुपार्वे स्थितो नित्यं सोऽत्ति भिक्षां परगृहात् । उददिष्टवजिताख्येकां दशमी प्रतिमां भजेत् ॥ मस्तके मुण्डनं लोचः कर्तनं वा समाचरेत् । द्वित्रिभिर्वा चतुर्मासर्व ती सद्वतसंयुतः ॥ स्ववीयं प्रकटीकृत्य तपः कुर्याद् द्विषड्विधम् । सदोपवासभेदादिसम्भवं कर्मघातकम् ॥ ___ x x बहूपवास मौनं च स्थानं वीरासनादिकम् । सदोषाहारिणां सर्व व्ययं स्यादविषदुग्धवत् ॥ महिसास्यं व्रतं मूलं बतानां मुक्तिसाधकम् ।। . नश्येत् षड्जीवधातेन सदोषाहारग्राहिणाम् ।। -पं. होरालाम सिद्धान्तशास्त्री, श्रावकाचार संग्रह, प्रश्नोत्तर श्रावकाचार; २४।२२-७६ ३. (क) श्री इन्द्र प्रभाकर जन, वीरोदय (मासिक प्रपत्र), पृ० स. १ (ख) पं. पम्पालाल जैन, बाहुबलीसन्देश (मासिक) प... ३४ ।
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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