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________________ महाकवि ज्ञानसागर का जीवन वृतान्त अध्ययन एवं लेखन को ही प्रपनी दैनिक चर्या बना लिया । इसी बीच उनको दाँता (रामगढ़) में संस्कृत - अध्यापन के लिए बुलाया गया। वह वहीं गए और परमार्थभाव से पढ़ाने लगे । इस प्रकार अध्यापन भौर काव्यसर्जना द्वारा सरस्वती की प्राराधना करते हुए उन्होंने जैन साहित्य एवं दर्शन की प्रभिवृद्धि की । उनके ये ग्रन्थ संस्कृत एवं हिन्दी, दोनों ही भाषा प्रों में हैं । संस्कृत भाषा में लिखित उनके काव्य-ग्रन्थों की संख्या ८ है; मोर हिन्दी में लिखे गये उनके छोटे मोटे सभी ग्रन्थों की संख्या १४ तक पहुँच गई। उनके इन २२ ग्रन्थों की सूची इस प्रकार है : ज्ञानसागर के ग्रन्थ संस्कृत ग्रन्थ 1 साहित्यिक ग्रन्थ दार्शनिक ग्रन्थ साहित्यिक ग्रन्थ महाकाव्य चम्पू काव्य मुक्तकका० I दयोदय मुनि० शतक I T जयोदय बीरोदय सुदर्शनो श्रीसमुद्र दय दत्तचरित्र T प्रवचन सार L जैन वि० कर्तव्यपथ विधि प्रदर्शन तत्वार्थ सूत्रटीका बिबेकोदय सचित विवेचन 1 हिन्दी ग्रन्थ 1 T ऋऋषभावतार गुरणसुन्दर वृत्तान्त सम्यक्त्वसार शतक दार्शनिक ग्रन्थ T भाग्योदय नियमानुसार का पद्यानुवाद मानवजीवन समय सार देवागमस्रोत का प्रष्टपाहुड का स्वामी कुन्द हिन्दी पद्यानुवाद पद्यानुवाद कुन्य धोर सनातन जैनधर्म | पं० चम्पालाल जैन, बाहुबलीसन्देश, भद्वितीय भ्रमण पृ० सं० ३७ (ख) डा० पं० लालबहादुर शास्त्री, जंनगजट (साप्ताहिक) पू० सं० २. बही ।
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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