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________________ २ . महाकवि भानसागर के काम्य-एक अध्ययन महाकवि के माता-पिता चतुर्भुज को छः पुत्ररत्नों की प्राप्ति हुई, जिसमें पांच जीवित रहे। सबसे बड़े पुत्र का नाम छगनलाल रखा गया । उसके पश्चात पतवारी देवी ने दो जुड़वा पुत्रों को जन्म दिया। किन्तु जन्म के कुछ ही समय के बाद जीवन के लक्षण न मिलने से दोनों शिशुमों को मृत मान लिया गया। परन्तु शीघ्र ही एक शिशु में जीवन के लक्षण प्राप्त हुए पर दूसरा बालक मृत्यु को प्राप्त हो गया। जीवित बालक का नाम 'भूरामस' रखा गया। यही बालक मागे चलकर प्राचार्य श्री १०८ ज्ञानसागर के नाम से विख्यात हुमा।' अमनलाल एवं भूरामल के प्रतिरिक्त पतवारी देवी ने तीन और पुत्रों को जन्म दिया। भूरामल के इन अनुजों के नाम क्रमशः इस प्रकार हैं :-गंगाप्रसाद, गौरीलाल पौर देवीदत्त ।। शिक्षा-दीक्षा बाल्यकाल से ही भूरामल की अध्ययन के प्रति रुचि थी । सर्वप्रथम कूवामन के श्री पं. जिनेश्वरदास जी ने राणोली ग्राम में ही भूरामल को धार्मिक एवं मोकिक शिक्षा दी। पर उनकी उच्च शिक्षा का प्रबन्ध गांव में न हो सका। . इसी बीच इस सम्पन्न जन-परिवार के समक्ष एक महा विपत्ति पा गई। छगनलाल की आयु १२ वर्ष की थी और भूरामल को केवल १० वर्ष । इसी समय उनके पिता चतुर्भुज की वि० सं० १५५६ (सन् १९०२) ई. में मृत्यु हो गई। पिता की मृत्यु हो जाने से बालक भूरामल की पारिवारिक अर्थव्यवस्था बिगड़ गई। (च) मूलचन्द्र चौधरी, ऋषभदेवचरित, भूमिका भाग। (छ) पं० चम्पालाल जैन विशारद, बाहुवलीसन्देश में से । (ज) मुनिसंघव्यवस्थासमिति, नसीराबाद (राज.), श्री ज्ञानसागर जी महाराज का संक्षिप्त जीवन परिचय, (१-६-१९७४) पृ० सं० २ (झ) डॉ. पं. लाल बहादुर शास्त्री, जन गजट, १० सं० १ . (२) श्री इन्द्र प्रभाकर जैन, वोरोदय (मासिक प्रपत्र), पृ० सं० १ १. मुनि संघ व्यवस्था समिति, नसीराबार (राज.), बी ज्ञानसागर बी महाराज ___ का संक्षिप्त जीवन परिचय, (१-९.१९७४), पृ०सं०२। २. (क) बनमित्र, साप्ताहिक पत्र, मुनि श्री ज्ञानसागर जी का संक्षिप्त परिषय, बीर संवत् २४६२, पेशास सुरी ८, (२८.४.१९६९) ३० सं० २५३ (ख) पं. हीरालाल सिद्धान्तमास्त्री, दयोदयचम्पू, प्रस्तावना भाग, पृ. सं० । १. मुनिसंघव्यवस्थासमिति, नसीराबार, (राज.), श्री मानसागर जी महाराज का संक्षिप्त जीवन परिचय, (१-६-१९७४) पृ० संख्या २।
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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