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प्रथम अध्याय
महाकवि ज्ञानसागर का जीवन वृत्तान्त
भारतवर्ष प्रारम्भ से ही महापुरुषों की जन्मस्थली रहा है। यहां की धरा ने ही राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर और महात्मा-गांधी प्रादि जैसे महापुरुषों को; कालिदास, अश्वघोष, भवभूति, जयदेव, तुलसी, सूर प्रादि जैसे महाकवियों और पाणिनि, कात्यायन, पतञ्जलि, व्यास, जैमिनि, गौतम, कणाद, कपिल, गुणमा, जिनभद्र, भरत, भामह, मम्मट प्रादि प्राचार्यों को जन्म दिया है । महाकवि को जन्मस्थली
- इसी भारतवर्ष में राजस्थान नामक एक प्रदेश है जो रूप, रंग, मोर धर्म को समवेत विशेषतामों को धारण करता है । इस प्रदेश में जयपुर के समीप सीकर नामक एक जिला है, जिसमें 'राणोली' नामक एक ग्राम है। इस ग्राम में 'राणा' उपनामधारी क्षत्रिय प्रचुर मात्रा में रहते हैं।' ईशा की अठारहवीं शताब्दी में इस ग्राम में खण्डेलवाल जातीय, छाबड़ा गोत्रोत्पन्न, जन-धर्म में मास्था रखने वाले सेठ सुखदेव जी रहते थे। उनके पुत्र का नाम चतुर्भुज था, जिसका विवाह धृतवारी देवी से हुआ।
१. 'जनमित्र', साप्ताहिक पत्र, मुनि श्री ज्ञानसागर जी का संक्षिप्त परिचय
वीर-संवत २४६२ वैशाख सुदी ८, (२८-४-१९६६) पृ० सं० २५३ ।।
(ख) पं० हीरालाल सिद्धान्तशास्त्री, दयोदयचम्पू, प्रस्तावनाभाग, पृ० सं०३। ३. (क) वही,
(ख) वहीं, (ग) देवकुमार जैन, सम्यक्त्वसारशतक की प्रस्तावना में से । (घ) डॉ. विद्याधर जोहरापुरकर एवं डॉ. कस्तूरचन्द्र कासलीवाल, वोरशासन के प्रभावक प्राचार्य, संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान् माचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज, पृ. सं० २७० । (ङ) श्री चतुर्भुज रानोली के, जो वीरभूमि पास है। धृतवली देवी के सहित, श्रीवीर पर विश्वास है ।।
श्रीलालषी जैन वैद्य, हिसार, मुनिपूजन, पृ० सं०६