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का स्वरूप, कविज्ञानसागर के संस्कृत काव्यों में भावाभास, भावशान्ति का स्वरूप, कवि ज्ञानसागर के संस्कृत काव्यों में भावशान्ति, भावोदय का स्वरूप, कवि ज्ञानसागर के संस्कृत काव्यों में भावोदय -जयोदय में भावोदय, वीरोदय में भावोदय, सुदर्शनोदय में भावोदय, श्रीसमुद्रदत्तचरित्र में भावोदय एवं दयोदयचम्पू में भावोदय, भावसन्धि का स्वरूप-कवि ज्ञानसागर विरचित जयोदय में भावसन्धि, वीरोदय में भावसन्धि, सुदर्शनोदय में भावसन्धि, श्रीसमुद्रदत्तचरित्र में भावसन्धि, दयोदयचम्पू में भावसन्धि, भावशबलता-जयोदय में भावशबलता, वीरोदय में भावशवलता, सुदर्शनोदय में भावशबलता, श्रीसमुद्रदत्तचरित्र में भावशबलता, दयोदयचम्पू में भावशवलता, ध्वनि का स्वरूप-कवि ज्ञानसागर के संस्कृत काव्यों में ध्वनि, गुणीभूतव्यंग्य का स्वरूप, कवि ज्ञानसागर के संस्कृत काव्यों में गुणीभूतव्यंग्य एवं सारांश।
अष्टम अध्याय-महाकवि ज्ञानसागर के संस्कृत काव्यग्रन्थों में कलापक्ष . ११-३६६
कला का स्वरूप और भेद, काव्यकला के मङ्ग, काव्य में कला का अनुपात, महाकवि ज्ञानसागर के काव्यों में कला निरूपण, प्रलङ्कारअनुप्रास, यमक, माद्य यमक, मुख यमक, युग्म यमक, पुच्छ यमक, एकदेशज अन्त्य यमक, श्लेष, उपमा, उत्प्रेक्षा, रूपक, प्रपति , प्रर्थान्तरन्यास, परिसंख्या, परिकराङ्कुर, संसृष्टि एवं संकर, चित्रालङ्कार-चक्रबन्ध, गोमूत्रिकाबन्ध, यानबन्ध, तालवृन्तबन्ध एवं कलशबन्ध, छन्द-उपजाति, बियोगिनी, रपोद्धता, मात्रासमक, दुतविलम्बित, भार्या, बसन्ततिलका, कालभारिणी, शाईलविक्रीडित, दोहा, पुष्पिताग्रा, पञ्चचामर, मीत (राग-रागिणी) महाकवि ज्ञानसागर के काग्यों में गीत-प्रभातो, काफी होलिकाराग, श्यामकल्याण राग, सारङ्ग राग, सौराष्ट्रीय राग, कव्वाली, गुण, माधुर्य का स्वरूप एवं उसके अभिव्यञ्जक तत्त्व, महाकविज्ञानसागर के संस्कृत काव्यों में माधुर्य गुण, मोजोगुण का स्वरूप एवं उसके अभिव्यञ्जक तत्त्व, महाकवि ज्ञानसागर के संस्कृत काव्यों में भोजो. गुण, प्रसाद गुण का स्वरूप एवं उसके अभिव्यजक तत्व, महाकवि शानसागर के संस्कृत काव्यों में प्रसाद गुण, भाषा, महाकवि शानसागर के संस्कृत काव्यों की भाषा शैली-बंदी, गोडी एवं पांचाली शेली, महाकविज्ञानसागर की शैली, वाग्वदग्ध्य, महाकवि ज्ञानसागर के संस्कृत काव्यों में वाग्वदग्ध्य, संवाद, देशकाल एवं सारांश ।