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नवम अध्याय-महाकविज्ञानसागर का जीवन दर्शन
४९७-४२६ जीवन दर्शन : एक संक्षिप्त परिचय, कवि की सामाजिक, राजनैतिक आर्थिक एवं सांस्कृतिक विचारधारा, कवि की धार्मिक विचारधारा -जैनी महात्मानों के क्रमिक विकास के सोपान-पुरुष वर्गीय जैनी महात्मा-ज्ञानसागर के काव्यों में प्राप्त होने वाली जैन महात्मायों की श्रेणियाँ-दिगम्बर मुनि, मुनि, ऋषि, योगी, अहंन्त, परमेष्ठी, स्त्री वर्गीय जनी महात्मा प्रायिका, क्षुलिका, ज्ञानसागर की दृष्टि में जैनधर्म और प्रत -प्रनयंदण्डवत, सामयिक शिक्षाक्त, प्रोषधोपवास व्रत, भोगोपभोगपरिणाम, शिक्षाव्रत, अतिथिसंविभागशिक्षाव्रत, ज्ञानसागर की दृष्टि में जैनधर्म का ज्ञानपञ्चक, ज्ञानसागर के काग्यों में प्रवधिज्ञान एवं केवल ज्ञान, कवि की दष्टि में ईश्वर, कर्मकाण्ड एवं जैनधर्म को उपयोगिता, कवि की दार्शनिक विचारधारास्याद्वाद सिद्धान्त, द्रव्यस्वरूप एवं भेद, ध्यान, कर्म, गुण, स्थान, प्रात्मा, गुप्ति, समिति, उपयोग, योग, धर्म-अधर्म एवं पुरुष का
कर्तव्य, प्रमाग तथा सारांश । दशम अध्याय-उपसंहार
४३०-४३६ ज्ञानसागर का संस्कृत कवियों में स्थान, ज्ञानसागर के संस्कृत काव्य. ग्रन्थों-जयोदय, वीरोदय, सुदर्शनोदय, श्रीसमुद्रदत्तचरित्र एवं दयो
दयचम्पू-का संस्कृत साहित्य में ल्थान एवं सारांश ।। प्रथम परिशिष्ट-महाकवि ज्ञानसागर को संस्कृत भाषा में लिखित दार्शनिक कृतियां
४४०-४४१ मौलिक कृति-सम्यक्त्वसारशतक, अनुवाद कृति-प्रवचनसार । द्वितीय परिशिष्ट --- महाकवि ज्ञानसागर को हिन्दी रचनाएं ४४२-४४८
मौलिक कृतियां-ऋषभावतार, धन्यकुमार का चरित, पवित्र मानव बोवन, सरल जैन विवाह विधि, कर्तव्यपप-प्रदर्शन, सचित्तविवेचन एवं स्वामी कुन्द कुन्द प्रौर सनातन जैनधर्म, टोकाकृतियां-तत्त्वार्थ
सूत्र टीका, विवेकोदय एवं समयसार, मप्रकाशित रचनाएँ। तृतीय परिशिष्ट-बहाकवि ज्ञानसागर को सूक्तियां
४४६.४५५ चतुर्थ परिशिष्ट-महाकवि मानसागर की अन्यकृत प्रशस्तियां
४५६.४६२ पञ्चम परिशिष्ट-सप अन्य सूची
४६३.४६८ अनुक्रमणिका
४६९-४७५