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( ni ) षष्ठ अध्याय-महाकविज्ञानसागर का वर्णनकोशल)
२६७-२४ वर्णन कौशल : एक मूल्यांकन, प्रकृतिचित्रण : एक विश्लेषण, पर्वत वर्णन-सुमेरु, हिमालय, विजया एवं श्रीपुरुपर्वत वर्णन, वन, नदी; सरोवर, समुद्र एवं दीप वर्णन, द्वोप ऋतु वर्णन-बसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद् एवं हेमन्त वर्णन, कालवर्णन-प्रभात, दिवस, सन्ध्या एवं रात्रिवर्णन, रस्तुवर्णन : एक विहगावलोकन, देशवर्णन-भारतवर्णन, मालबदेश वर्णन, मङ्गदेश वर्णन, नगरवर्णन-कुण्डनपुर, चम्पापुरी, उज्जयिनी, स्तबकगुच्छ, चक्रपुर, हस्तिनापुर एवं काशीवर्णन, ग्राम; मन्दिर, समवसरण मण्डप, यात्रा, युद्ध एवं विविध वर्णन तपा
सारांश। सप्तम अन्याय-महाकविज्ञानसागर के संसत काव्यों में भावपक्ष २४५-३१०
भावपक्ष का महत्त्व, भावपक्ष के भेद, रस-स्वरूप, रस-संस्या निर्णय, मुनि श्री के संस्कृत काव्यों में भङ्गोरस-शान्त रस का स्वरूप, जयोदय में वरिणत शान्त रस, वीरोदय में वरिणत शान्त रस, सुदर्शनोदय में परिणत शान्तरस, श्रीसमुद्रदत्तचरित्र में परिणत शान्त रस, दयोदयचम्पू में वरिणत शान्त रस, कवि ज्ञानसागर के संस्कृत काव्यों में मङ्गरस-जयोदय में वर्णित मङ्गरस-शृङ्गार, वीर, रोद, हास्य, वीभत्स एवं वत्सल, सुदर्शवोदय में वरिणत मङ्गरस--शृङ्गार, रोद्र, मद्भुत एवं वत्सल, श्रीसमुद्रदत्तचरित्र में वर्णित प्रङ्गरस-बीर, करुण, रोद एवं वत्सल, दयोदयचम्पू में वरिणत मङ्गरस-शृङ्गार, करुण एवं वत्सल, रसाभास का स्वरूप, कविज्ञानसागर के संसात काव्यों में रसाभास-जयोदय में रताभास-अङ्गार रसाभास एवं भयानक रताभास, सुदर्शनोदय में रसाभास-शान्त रसाभास, शृङ्गार रसाभास एवं रोद्र रसाभास, श्रीसमुद्रदत्तचरित्र में रसाभास-सान्तरसाभास एवं शृङ्गार रसाभास, दयोदवचम्पू में रसाभास-शान्त रसामास, भाव का स्वरूप, कविज्ञानसागर के संस्कृत काव्यों में भावजयोदय महाकाव्य में भाव-भगवद् विषयक भक्तिभाव, गुरुविषयक भक्तिभाव, नपविषयक भक्तिभाव, व्यंग्य व्यभिचारिभाव, अपरिपुष्टस्वामिनाव, वीरोदय महाकाव्य में भाव-देवविषयक भक्तिभाव, मुपविषयक भक्तिभाव, गुरुविषयक भाव, व्यंग्य व्यभिचारिभाव एवं अपरिपुष्ट स्थायिभाव, श्रीसमुद्रदत्तचरित्र में भाव-देवविषयक भक्तिभाव, गुरुविषयक भक्तिभाव, व्यंग्य व्यभिचारभाव एवं अपरिपुष्ट स्थायिभाव, स्योदयधम्प में भाव-देवविषयक भक्तिभाव, गुरुविषयक भक्तिमान, व्यंग्य अभिचारिभाष एवं परिपुष्ट स्थायिभाव, गावामार