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पञ्चनमस्कार मन्त्र प्रभाव कथा, भट्टारक सकलकीतिविरचित श्रोसुदर्शनपरित एवं श्रीविद्यानन्दिविरचित सुदर्शनचरित-मूलकथा में परिवर्तन और परिवर्धन, बहत्कथाकोश और सुदर्शनोदय, परिवर्धन, सुदंसणचरिउ मोर सुदर्शनोदय, परिवर्धन, श्रीसमुद्रदत्तचरित्रमहाकाव्य के कथानक का स्रोत-बृहत्कथाकोश में वरिणत भोभूतिपुरोहितकथानक का सारांश, आराधना कथाकोश में वर्णित 'श्रीभूतेः कया' का सारांश, मूलकथा में परिवर्तन और परिवर्धन, बृहत्कथाकोश भोर श्रोसमुद्रदत्तचरित्र, आराधनाकथाकोन और श्रीसमुद्रदत्तचरित्र, दयोदयचम्पू के कथानक का स्रोत-बृहत्व याकोश में वर्णित 'मगसेनपीवरस्य कथानकम्' का सारांश, माराधनाक्थाकोश में वर्णित मगसेन धीवर की कथा का सारांश, मूलकथा में परिवर्तन पौर परिवर्धन एवं सारांश ।
चतुर्थ अध्याय-महाकविज्ञानसागर के संस्कृत काव्यग्रन्थों की काव्यशास्त्रीय विषाएँ
११६-१४६ . काव्य एवं काव्य विधाएँ : एक संक्षिप्त परिचय-काव्य, शब्द, प्रर्ष,
मलङ्कार, छन्द, मात्मा, वर्ण्य-विषय, शैली, गुण-दोष, काव्यविधाएँ कवि के संस्कृत काव्य एवं काव्यशास्त्रीय विधा : एक समन्वयजयोदय, वीरोदय, सुदर्शनोदय, श्रीममुद्रदत्तचरित्र, दयोदयचम्पू, मुनिमनोरञ्जनशतक, कवि की संस्कृत काव्यसम्पदा, कवि के दार्शनिक पन्य एवं सारांश।
पञ्चम अध्याप-महाकविज्ञानसागर को पात्रयोजना
१४७-१९६ काव्य में पात्रों का महत्त्व, कविवरज्ञानसागर के पात्रों का पालन एवं वर्गीकरण, ऋषिवर्ग, राजसेवक वर्ग, प्रजावर्ग, मानवेतर वर्गदेववर्ग, व्यन्तर वर्ग, पात्रों का व्यक्तिगत चरित्रचित्रण, जयोदय के पात्र-जयकुमार, सुलोचना, प्रकीर्ति एवं राजा प्रकम्पन । वीरोक्ष के पात्र-भगवान् महावीर, राजा सिद्धार्थ प्रियकारिणी एवं श्री, ह्री देवियाँ। सुदर्शनोदय के पात्र-सुदर्शन, मनोरमा, अभयमती, सेठ वृषभदास, जिनमति, धात्रीवाहन, कपिला ब्राह्मणी, पण्डिता दासी एवं देवदत्ता वेश्या । श्रोसमुद्रदत्तचरित्र के पात्र-भद्रमित्र, सत्यपोष एवं रामदत्ता । दयोदयचम्पू के पात्र-सोमदत्त, विषा, गुणपाल, गुणश्री, गोविन्द ग्वाला, बसन्तसेना एवं अन्य पात्र, कविवरज्ञानसागर पात्रों की सामाजिक उपयोगिता एवं सारांश ।