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( xviii) हल हुई । अतः मैं इस संस्था तथा इसके निदेशक, उपनिदेशक एवं कार्यकर्ताओं के प्रति हृदय से आभारी एवं कृतज्ञ हूँ।
शोष-ग्रन्थ को लिखते समय मेरी अनुजा डॉ नीरजा टण्डन, प्राध्यापक, हिन्दी-विभाग, कुमायूं विश्वविद्यालय नैनीताल, ने मेरी हर सम्भव सहायता की है । मतः मेरा हृदय उनके उत्तरोत्तर उत्कर्ष की कामना करता है।
___ साथ ही जिन कवियों, लेखकों और समालोचकों की कृतियों को पढ़कर मैंने लाभ प्राप्त किया है, उन सबकी सूची शोध-प्रबन्ध के पांचवें परिशिष्ट में बनाई गई है। यहाँ मैं उन सबके प्रति अपना प्राभार प्रकट करती हूँ।
श्री श्याम मल्होत्रा, ईस्टनं बुक लिंकर्स, ५८२५, न्यू चन्द्रावल जवाहरनगर, दिल्ली-११०००७ की भी मैं कृतज्ञ हूँ, जिन्होंने इस शोधप्रबन्ध के प्रकाशन एवं मुद्रण का भार लेकर मुझे चिन्ताविनिर्मुक्त किया है।
मब यह शोध-ग्रन्थ सहृदय, सुघी, विद्वान् पाठकों के समक्ष इस प्राशाविश्वास से प्रस्तुत किया जा रहा है कि उन्हें भी यह पसन्द पाएगा। प्राध्यापिका, संस्कृत विभाग, कुमायूं विश्वविद्यालय, नैनीताल ।
-किरण टण्डन