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________________ (xiii) जी' की धौर कुछ रचनाएं श्री गणेशीलाल रतनलाल जी कटारिया की भी महती कृपा से प्राप्त हुई। इस प्रकार से मुझे श्रीज्ञानसागर का साहित्य प्राप्त हुमा । इससे पूर्व मैंने ज्ञानसागर के विषय में कभी न तो सुना था, न पढ़ा ही था । अतः उनकी रचनानों के साथ न्याय करने के लिए मैंने उनकी समीक्षा करना उचित समझा। इन सब परिस्थितियों से प्रेरित होकर मैंने ज्ञानसागर के सम्बन्ध में पी० एच्० डी० की उपाधि हेतु शोध-प्रबन्ध लिखने का निश्चय कर लिया मोर डॉ० दीक्षित के सर्वथा उत्तमोत्तम निर्देशन में 'मुनि श्रीज्ञानसागर का व्यक्तित्व एवं उनके संस्कृत काव्य-ग्रन्थों का साहित्यिक मूल्यांकन' विषय पर कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल की संस्कृत शोत्रोपाधि समिति की संक्षिप्त रूपरेखा स्वीकृति हेतु प्रस्तुत कर दी। उक्त समिति द्वारा स्वीकृति मिलने पर मैं अपनी इच्छा को मूर्त रूप देने के लिए तत्पर हो गई और फलस्वरूप उस समय मैंने शोध प्रबन्ध लिखा, वह अब प्रापके समक्ष प्रस्तुत है । शोध प्रबन्ध का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत शोध प्रबन्ध में दस प्रध्याय हैं । इनकी वयं वस्तु का सारांश इस प्रकार है प्रथम अध्याय में कवि के सम्पूर्ण जीवन का परिचय दिया गया है । अपनी युवावस्था से प्रारण त्याग तक श्रीज्ञानसागर जैन-धर्म, दर्शन एवं साहित्य की जो सेवा करते रहे उस सबका कालक्रमानुसार वर्णन किया गया है। उनके प्रत्यल्प पारिवारिक जीवन में उनके माता-पिता एवं भाईयों का भी परिचय दिया गया है । तत्पश्चात् उनके संन्यासि जीवन में उनके गुरुजनों एवं प्रमुख शिष्यों का परिचय भी यथाशक्ति दिया गया है । कवि के जन्म, गृहत्याग, गुरुजनों की कृपाप्राप्ति, शिष्यों को दीक्षा, विभिन्न उपाधि धारण करना, समाधिमरण इत्यादि से सम्बन्धित तिथियों का भी प्रायः उल्लेख कर दिया गया है । द्वितीय अध्याय में कवि के जयोदय, बीरोदय, सुदर्शनोदय, श्रीसमुद्रदत्तचरित्र मोर दयोदयचम्पू- पाँच संस्कृत काव्यों का सारांश प्रस्तुत किया गया है, १. प्राचार्य श्री विद्यासागर जी ज्ञानसागर जी के प्रमुख शिष्य हैं। पहले इनका नाम विद्याधर था । सन् १९६६ ई० में जब कविवर ने इनको मुनि दीक्षा दी, तभी से इनका नाम विद्यासागर हो गया। अपने सभी शिष्यों में इनको योग्य देखकर कविवर ने इनको अपना प्राचार्य का पद दे दिया । जनधर्म पर प्रास्था रखने वाले श्री गणेशीलाल, रतनलाल कटारिया जी ब्यावर ( राजस्थान) के निवासी हैं । मुनिश्रीज्ञानसागर ग्रन्थमाला से प्रकाशित पुस्तकों का विक्रय इन्हीं के यहाँ से होता है । २.
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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