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अनुरूप रहकर उनके प्रभीष्ट विचारों को निर्धान्तरूप से प्रकट करने वाला हो गया है। समीक्षा के संसार में लेखनकला का यह कमनीय कौशल प्रायः बिरमता से ही उपलब्ध होता है।
__ मेरे लिए यह प्रमन्द मानन्द का विषय है कि डॉक्टर (कुमारी) किरण टपन का यह शोषग्रन्थ अब प्रकाशित हो रहा है। मैं इसका हार्दिक स्वागत करता है। इसके प्रचार-प्रसार को शुभकामनाएं करता है और शिक्षाजगत् में अभिनन्दनीय इस उत्तम उपलब्धि के लिए म. (कुमारी) किरण मान को हार्दिक बधाई देता हूं। मुझे सुरद विश्वास है कि ससतसाहित्य के समीक्षाजपद से जुड़ा हुमा प्रत्येक कर्मठ एवं गुणग्राहक व्यक्ति उनके इस शोषग्रन्थ का निश्चय ही स्वागत करेगा। प्रतएव डॉक्टर टण्डन से में यह भी माशा करता है कि वह इसी प्रकार संतसाहित्य को समृद्धि करती रहें। नैनीताल
- -हरिनारायण दीक्षित दिनार-१३-१-१९०४ ईशवीय