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________________ १४२ महाकवि ज्ञानसागर के काव्य-एक अध्ययन नजरों से किसी धनी यात्री को देखते हैं, इस सबका वर्णन कवि ने करने का प्रयल किया है। सबसे सजीव वर्णन तो कवि ने युद्ध का किया है। जयकुमार पौर मर्ककोत्ति का युद्ध महाकाव्य में वीररस की निष्पत्ति करने में पूर्ण सफल है। (घ) विविध-वर्णन प्राकृतिक और वैकृतिक पदानों के वर्णन के अतिरिक्त कवि ने अन्य विविध वर्णन भी प्रस्तुत किए हैं, जो कवि के विस्तत ज्ञान के परिचायक हैं। कवि ने भारत के कुछ त्योहारों में होने वाले कार्यों का भी उल्लेख प्रपने काग्यों में किया है, यथा-वर्षा-ऋतु के प्रसंग में स्त्रियों का झूला झूलना। इसी प्रकार ग्रीष्मऋतु वर्णन के प्रसङ्ग में कवि ने पतङ्ग-क्रीडा का उल्लेख किया है । पतङ्ग-उड़ाती हुई एक निःसंतान स्त्री का चित्र देखिए : "पतङ्गतन्त्रायितचित्तवृत्तिस्तदीयन्त्रभ्रमिसम्प्रवृत्तिः। .. श्यामापि नामात्मजलालनस्य समेति सोल्यं सुगुणादरस्व ॥" मर्थात् जब कोई स्त्री पतङ्ग उड़ाते समय बोरी की ची को घुमाती है, तो उसे पुत्र खिलाने जैसा प्रानन्द प्राप्त होता है। जयकुमार की राजसभा का ही वर्णन कवि ने बड़ा मार्मिक किया है। जिस प्रकार शरद् ऋतु राजहंसों से शोभित होती है, उसी प्रकार जयकुमार की सभा विद्वानों से सुशोभित थी। पत्तों, पुष्पों, फलों से युक्त लतावल्लरी के समान वह सभा मच्छी वाणी बोलने वाले, प्रच्छे अन्तःकरण वाले विद्वानों से युक्त यो। वह सभा जैन बाणी के समान पवित्र नदी के समान मलिनता को नष्ट करने वाली पी। जयकुमार के विवाह के समय में बारात का स्वागत किस प्रकार किया गया, इसका भी वर्णन कवि ने बड़ा रोचक किया है। एक उद्धरण देखिए, जो स्वभावोक्ति से परिपूर्ण है : "कि पश्यस्यपि संरिमेरपि न कि नो रोचकं व्यंजनं, तन्वीदं लवणाधिकं खलु तषाकारीति नो रंजनम् । तस्मात्सम्प्रति. सर्वतो मुखमहं याचे पिपासाकुल:, सात्राभूत्स्मितवारिभुक् पुनरितः स्वेदेन स. व्याकुलः ॥" (जयोदय, १२॥१४०) . सुलोचना को विदा कराकर जयकुमार गङ्गा-नदी के तट पर पहुंचते है, उनके सैनिक वहीं पर पड़ाव गल लेते हैं, मोर रात्रि में पानगोष्ठी का प्रायोजन १. बारोदय, ४१२१-२२ २. जयोदय, ३१८-१०
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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