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________________ हाविहानसायर का वर्णन कौशल २३५ को मनायास ही पाकष्ट कर लेता है। काशी नगरी वैसे ही भारत की पार्मिकरष्टि से मोर विद्या की दृष्टि से महत्वशालिनी नगरी है, फिर कवि ने उस नगरी का विवाह के समय का जो चित्र उपस्थित किया है, वह भी अत्यन्त मनोरम प्राम-वर्णन. किसी भी देश के ग्राम ही उस देश को वास्तविक समृद्धि के बोतक होते है। नगरों की चमक-दमक हमें वास्तविकता से दूर कर देती है। इसके विपरीत ग्रामों का उन्मुक्त जीवन हमें प्रकृति के सामीप्य में ले जाता है। श्रीज्ञानसागर ने तत्तद् देशों से सम्बन्धित ग्रामों का भी वर्णन किया है। सर्वप्रथम मालब देश के प्रामों का वर्णन प्रस्तुत है : ___ मालव देश के ग्रामों में भेड़-बकरी, गाय-भैंस इत्यादि पशु अधिक संख्या में मिलते हैं । वहां स्थान-स्थान पर उथान है। उन गांवों के खेत शस्य-सम्पदा से परिपूर्ण हैं। उन गांवों में मुख्य रूप से ब्राह्मण मोर क्षत्रिय ही रहते हैं।' अब देखिए अङ्ग-देश के ग्रामों का वर्णन : मन देश के ग्राम प्रपनी शोभा से स्वर्ग की बराबरी करते हैं। जिस प्रकार स्वर्ग में मनोरम अप्सराएं निवास करती हैं, उसी प्रकार इन ग्रामों में निर्मल जल से भरे हुए सरोवर हैं । स्वर्ग के कल्पवृक्षों के समान ही इन गांवों में भी नाना पाति के वृक्ष हैं। जिस प्रकार स्वगिक सम्पदा की सब लोग प्रशंसा करते हैं, उसी प्रकार इन गांवों में भी प्रशंसनीय शस्म-सम्पदा है। यहां के निवासियों का जीवन स्तर साधारण है । उनको प्राजीविका का प्रमुख साधन कृषि और पशुपालन है। यहाँ के निवासी बछड़े से अत्यधिक प्रेम करते हैं, क्योंकि वे ही उनकी कृषि के मूलाधार हैं। यहां के ग्वाले प्रत्यधिक परोपकारी हैं। उनके पास पशुधन की प्रचुर मात्रा है। अतः देश में दूष-दही उचित मात्रा में सुलभ है।' महाकवि ज्ञानसागर कृत यह ग्राम-वर्णन यबपि मत्यल्प है, और मलकवा से विशेष सम्बन्ध भी नहीं रखता, फिर भी श्लेष और उपमा का प्रबलम्ब लेकर कवि ने भारतवर्ष के ग्रामों की जो थोड़ी सी झलक दिखाई है, वह हृदयस्पर्षी है। मन्दिर-वर्णन श्री ज्ञानसागर की कृतियों में मन्दिर वर्णन तीन स्थलों पर मिलता है। उन्होंने पीरोदय में कुण्डनपुर के मन्दिरों का षो सुन्दर वर्णन प्रस्तुत किया है, पर इस प्रकार है : १. बयोवपचम्पू, १ श्लोक १.पूर्व का गव भाग । २. सुपर्शनोदय, ११२०-२२
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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