SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 294
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महाकवि भानसागर के काव्य-एक अध्ययन इसके अतिरिक्त कवि की कृतियों में अयोध्या,' कौशाम्बिका,२ पलकापुरी, सिंहपुर, धरणीतिलक,५ श्रीपद्मखण्ड, पोदनपुर, भास्करपुर, मथुरा,' कनकपुर,१° पुण्डरीकिणी,११ छत्रपुरी,२ मिथिला, कोशलपुरी,१४ राजगृह,१५ पावानगर' इत्यादि नगरों का भी उल्लेख मिलता है। कवि ने अपने काव्यों में जम्बूद्वीप, भारतवर्ष, मालवदेश, इत्यादि भौगोलिक स्थानों का संक्षिप्त चित्रण किया है। फिर भी ऐसे स्थलों पर कवि अपने इन वर्णनों को अलङ्कारों से सजाना नहीं भूले हैं । भारतवर्ष का वर्णन, उसकी पार्मिकसंस्कृति का भी ज्ञान करा देता है । कवि ने विदेह और अङ्गदेश का विस्तृत वर्णन किया है । कवि के विदेह वर्णन से यह ज्ञात हो जाता है कि विदेह देश, जलसम्पदा, वनस्पति-सम्पदा, रत्नसम्पदा, शस्य-सम्पदा एवं सौन्दयं-सम्पदा से सम्पन्न पा। वहां के प्रासादों का वर्णन तत्कालीन वास्तुकला के प्रकर्ष को प्रकट करने में समर्थ है। श्लिष्टोपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा इत्यादि से सुसज्जित विदेह-देश का वर्णन एक समृद्ध देश की झांकी हमारे नेत्रों के सामने प्रस्तुत कर देता है। प्रदेश बर्मन, धनी-देशों में उपलब्ध सुख-सामग्री की झांकी उपस्थित कर देता है। इसी प्रकार कवि ने छोटे-बड़े नवरों का वर्णन चाहे पल्पकाय हो, पा वीर्षशाय-अत्यन्त प्रभावोत्पादक किया है। कुण्डनपुर और चम्पापुरी का वर्णन, मात्र के चकाचौष उत्पन्न करने वाले विल्ली और बम्बई जैसे नगरों की मोर पाठक - १. जयोदय, २०१२-५ २. दबोदयचम्पू, ६॥ श्लोक ५ के पूर्व का गद्यभाग। ३. श्रीसमुद्रदत्तचरित्र, २१. ४. वही, ३॥१८ ५. वही, ५१७ ६. वही, ११२६ ७. · वहो, ४।२७ ८. वही, ५२२२ १. बीरोदय, १९२१५ १०. वही, १०२६ ११. वही, १९१३२ १२. वही, ११॥३५ १३. बही, १४६ १४. वही, १४११० १५. वही, १४।१२ १६. वही, २१॥२॥
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy