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महाकवि ज्ञानसागर का वर्णन-कोमल
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के सुन्दर स्वरूप को देखकर स्त्रियां उसी प्रकार हर्षित हो गई, जैसे चन्द्रमा को देखकर समुद्र में ज्वार-भाटा माता है। स्त्रियां गीत गा रही थीं, तुरही बन रही थी । सम्पूर्ण नगर राजा के माङ्गन जैसा हर्ष से युक्त हो गया। समुद्र में सठती-बैठती लहरों के समान राज-द्वार में से लोगों की भीड़ प्रा-जा रही थी।+ + +।'
काशीवर्णन
अच्छे मनुष्यों से युक्त काशी नाम की सुन्दर नगरी में श्रीधर नाम का राजा राज्य करता था। सुलोचना के विवाह के समय उस नगरी में एक सुन्दर मण्डप बनाया गया। उसके शिखर भाग में वायु द्वारा हिलती हुई पताकायें लोगों को बुला रही थीं। उस नगर में दर्पण के समान स्वच्छ, मुक्तामों से युक्त, नवीन वृक्षों के कारण बगीचे के समान, सिले हुये कमलों से युक्त, राजहंसों से सेम्य एक सुन्दर सरोवर था। वह नगरी देवागमन के कारण अच्छी दृष्टि वालों के द्वारा सेव्य थी। किसी भी प्रकार के कलस से रहित विद्या के मानन्द से परिपूर्ण थी । पच्छेपच्छे घरों वाली वह काशी नगरी ऐसी थी, जैसे अमृत से पृथ्वी युक्त हो गई हो। स्वर्ग में विद्यमान प्रमत के समान, नदियों के पवित्र जल से युक्त, स्वर्ग में विद्यमान चित्रा इत्यादि देवाङ्गनामों के समान चित्रादि से प्रलंकृत, अमत के इच्छुक देवों के द्वारा, स्वर्ग के समान यह नगरी पूज्य थी। अनेक रङ्गों और चित्रों वाली वहां की दीवारें, वेश्याओं के समान लोगों के मन को प्रसन्न करने वाली थीं। वहाँ के घर उन्मत्त हाथियों से सुशोभित और बड़े-बड़े दरवाजों वाले थे। बड़े-बड़े वस्त्र वाली, बादलों को छूने वाली, वहां की ध्वजा की पंक्ति हवा के समान देहधारियों के श्रम का हरण करने वाली थी। उस नगर की गलियां बिखरे हुये पुष्पों से युक्त प्रौर सुगन्धित जल से सिनित थीं, ऐसा लगता था मानों वे हर्ष भोर उन्नति से, स्वेद से युक्त प्रौर रोमांचों से सुशोभित स्त्रियां हों। वह काशी नगरी प्रत्यन्त दर्शनीय मोर कल्याणकारिणी थी। जयकुमार और सुमोचना के विवाह के समय वह नगरी विद्वानों से युक्त और श्वेत वस्त्रों से अलंकृत थी। मणिजटित तोरण बारों से युक्त यह नगरी इन्द्रपुरी को जीतने के लिए प्रयत्नशील थी। + + + ।
१. अयोदय, २१॥६५-८६ २. वही, ३१३० ३. वही, ३१७२.६५ ४. वही, १०-१५