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________________ 卐 17. स्वामी कुन्द - कुन्द और सनातन जैन धर्म जैन दर्शन के प्रसिद्ध आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी के जीवन वृत्त को लेकर इस पुस्तक में प्रकाश डाला गया है। आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी के जीवन सम्बन्धित ऐतिहासिक गवाक्ष एवं उनके मूल सिद्धान्तों के भावों को युक्ति-युक्त ढंग से प्रस्तुत किया गया है । श्वेताम्बर मत की उत्पत्ति, वस्त्र एवं स्त्री मुक्ति का निषेध भी इस पुस्तक में किया गया है । आचार्य कुन्दकुन्द के काल का अवधारण करने वाले शिलालेखों का भी उल्लेख इसमें किया गया है । आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी को शिलालेखों के प्रमाणों के साथ षट्खण्डागमकार, पुष्यदंत, भूतभलि से पूर्व इस पुस्तक में सिद्ध करके विद्वानों की बुद्धि को श्रम करने के लिए प्रेरित किया है। दिगम्बर धर्म में समय-समय पर आये संघ भेदों के वर्णन भी इस पुस्तक में हैं। अस्सी पृष्ठीय यह पुस्तक इतिहास के लिए अति महत्त्वपूर्ण है । यह पुस्तक महाकवि आचार्य ज्ञानसागर महाराज ने दीक्षा के पूर्व लिखी थी, उस समय आपका नाम ब्रह्मचारी पंडित भूरामल शास्त्री था । 18. सरल जैन विवाह विधि फ्र विवाह एक सामाजिक रीति रिवाज है, लेकिन लोगों ने इसे धार्मिक रीतिरिवाज मान लिया है, अर्थात वैवाहिक क्रियाओं का सम्बन्ध धर्म से जोड़ने लगे हैं । अनेक मिथ्या आडम्बरों का निषेध करते हुए गृहीत मिथ्यात्व से बचाने वाली यह पुस्तक जैन दर्शनानुसार विवाह विधि को सम्पन्न कर एक आदर्श गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने के लिए मांगलिक विषय प्रस्तुत करती है । विवाह के समय जो मिथ्या कुदेवों को पूजते हैं एवं उनको आह्वान करते हैं तथा बलि आदि मिथ्या क्रियायें करते हैं उनका इस पुस्तक में निषेध किया गया है एवं सच्चे देव, शास्त्र गुरु की साक्षीपूर्वक दाम्पत्य जीवन स्वीकार करने के लिए प्रेरणा दी है गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने वाले वर-वधू के लिए इस पुस्तक के अनुसार विवाह विधि स्वीकार करना चाहिए । पचपन पृष्ठीय गद्य-पद्य हिन्दी, संस्कृत, मंत्रोच्चार आदि से समन्वित यह पुस्तक है । यह पुस्तक भी महाकवि ज्ञानसागर महाराज ने दीक्षा के पूर्व लिखी थी, उस समय आपका नाम ब्रह्मचारी पंडित भूरामल शास्त्री था । 19. इतिहास के पन्ने समस्त ऐतिहासिक अवधारणाओं को पलटने यह ऐतिहासिक लघु निबन्ध इतिहास में नया अध्याय जोड़ता है। शिलालेखों की प्रमाणता संहिता इस 卐
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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