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महाकवि ज्ञानसागर को पात्रयोजना
हो जाता है।' विनय और विद्या से युक्त
विनय से सुशोभित विद्या सोमदत्त का आभूषण है। उसका अभिभावक गोविन्द ग्वाला बस्ती में रहता है । उसकी प्रार्थिक दशा इतनी अच्छी नहीं है कि वह उसे उच्च शिक्षा के लिए बाहर भेज सके। फिर भी उस गांव में जितनी शिक्षा मिलती थी, उसे वह ग्रहण कर चुका था।२ यदि प्राधिक सुविधा मिलने पर वह . उच्च शिक्षा हेतु विद्यालय जाता तो वह उसे भी ग्रहण कर लेता । विनम्र इतना है कि किसी की भी कही बात बिना आग्रह के ही मान लेता है । राजा वषभदत उसे प्राधा राज्य और अपनी पुत्री गुणमाला को सौंपते हैं, तो यह बड़ी विनम्रता से दोनों को ग्रहण कर लेता है। प्राज्ञाकारी
सोमदत मद्भुत प्राज्ञाकारी है। वह गोविन्द को अपना वास्तविक पिता मानता हुआ, विना तर्क-वितर्क के उसकी प्रत्येक प्राज्ञा को सिर झुकाकर स्वीकार कर लेता है। अपने पिता को ही प्राज्ञा से वह गुणपाल के आतिथ्य में कोई कसर नहीं छोड़ता।४ गणपाल की प्राज्ञा मिलते ही उसके घर चला जाता है जहां विष के स्थान पर भाग्य-प्रावल्य से विषा की प्राप्ति हो जाती है। गणपाल के कहने पर वह नागमन्दिर चला जाता है ।६. राजा के बलाते ही उसकी सभा में उपस्थित हो जाता है। उसी की प्राज्ञा से वह गणमाला से भी विवाह कर लेता है। शक्ति और भक्ति का समन्वय
___सोमदत्त अतिथि-वत्सल है। अपने यहां पहुंचे हुए साधुनों का सत्कार करना वह अच्छी तरह जानता है । अपने पूर्वजन्म में भी तो एक मुनि के उपदेश से ही उसने अहिंसा धर्म को अपना लिया था। वह जैन-धर्म का समर्थक है । गहस्थ
१. दयोदयचम्पू, ७। श्लोक ११ के पूर्व का गद्यांश । २. वही, ४१ श्लोक ६ के पूर्व का गद्यभाग, श्लोक ६ प्रौर उसके बाद के
गद्यभाग। ३. वही, ७। श्लोक १२ के बाद के गद्य भाग । ४. वही, ४। श्लोक है के बाद का गद्यभाग। ५. वही, ४श्लोक १० के बाद से २५ श्लोक तक । ६. वही, ५।११ के पूर्व के गद्यभाग। ७. वही, ७।२-४ श्लोक १२ के बांद के गद्य भाग । ८. वही, श्लोक २२ के पूर्व का गद्यभाग एवं २२-२६