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________________ १८४ महाकवि ज्ञानसागर के काव्य - एक अध्ययन श्रीदत्त और उनकी पत्नी श्रीमती का पुत्र है। देव-दुविपाक से इस समय यह मातापिता के स्नेह से वंचित है । पूर्वजन्म में वह उज्जयिनी नगरी की शिशपा नामक वस्ती में मृगसेन नामक धीवर था और इसकी पत्नी का नाम घण्टा था। प्रबल भाग्य एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व-.. 1 सोमदत्त प्रबल भाग्य और अद्भुत व्यक्तित्व का स्वामी है। इसी कारण अन्त तक उसका बाल बाँका नहीं होता । सेठ गुणपाल बार-बार कहीं यह जीवित रहा, तो मुनिवचनों के अनुसार ग्रवश्य ही मेरी पुत्री का स्वामी होगा, यह सोचकर उसका वध करने का प्रयत्न करता है सौभाग्यवश नोमदत्त तो उसके षड्यन्त्रों से साफ साफ बच निकलता है; प्रौर उसको मारने के लिए प्रयत्नशील गुणपाल न केवल अपने प्राणों से हाथ धो बैठता है, अपितु अपने पुत्र और पत्नी की भी मृत्यु का कारण बनता है । ' इधर सोमदत्त राजकुमारी गुणमाला सहित राजा वृषभदत्त के प्रावे राज्य का भी स्वामी हो जाता है। २ बिषा तो उसको प्राप्य है ही । सोमदत्त का प्रभावशानी व्यक्तित्व ही मुनियों की वारणी में गुणपाल को उसके भूत भविष्य से परिचित करा देता है । 3 चाण्डाल के द्वारा निर्जन स्थान पर छोड़े जाने पर गोविन्द वाला उसे पाल लेता है। उसके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर ही वसन्तसेना गुणपाल द्वारा लिखित पत्र की विषय वस्तु बदल देती है । विषा, महाबल एवं राजकुमारी भी उसके प्रभावशाली व्यक्तित्व के प्रशंसक हैं । सरल सोमदत्त में सरलता का गुरण कूट-कूट कर भरा हुआ है । ईमानदार भी इतना है कि मार्ग में गुणपाल द्वारा लिखित पत्र को खोलकर पढ़ने की भी इच्छा नहीं । उसके अभिभावक गोविन्द के घर जब गुणपाल पहुंचता है तो वह सरल मन से उसकी सेवा करता है । उसे गुणपाल से कोई शिकायत नहीं है। उसकी मृत्यु के पश्चात् जब वह राजसभा में बुलवाया जाता है, तो अपने श्वसुर के प्रति शोकाकुल १. दयोदयचम्पू, ४।१४ और उसके बाद का गद्य, ६।६ प्रोर उसके बाद का गद्य भाग । २. वही, ७। श्लोक १६ के पूर्व का गद्यभाग । ३. वही, १1१८ - २१ ४. वही, ३ श्लोक ६ के बाद का दूसरा गद्यभाग, भौर श्लोक ६ के बाद का दूसरा भाग । ५. वही, ४। श्लोक ११ के पूर्व के गद्यभाग से श्लोक १३ तक ६. वही, ४।८-१०
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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