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________________ महाकवि ज्ञानसागर की पात्रयोजना १८३ रामदत्ता सिंहपुर के राजा सिंहसेन की रानी है। इसके दो पुत्र हैं-सिंहचन्द्र (भद्रमित्र) और पूर्णचन्द्र । रूप और सौन्दर्य की स्वामिनी होते हुए भी वह प्रजाहित में रुचि लेती है । सत्यघोष से ठगा हमा प्रोर अपमानित भद्रमित्र जब अपना वृत्तान्त सुनाते हुए पोर सत्यपोष को शाप देता हुए प्रत्येक प्रातःकाल को भावाज लगाने लगता है, तब रामदत्ता वृक्ष पर चढ़े हुए भद्रमित्र के करुण वृत्तान्त को जानकर वास्तविकता का पता लगाने को तत्पर हो जाती है । राजा से सलाह करके उसको दरवार में भेज देती है और स्वयं सत्यघोष को मीठी-मीठी बातों में फंसाकर शतरंज में उसे हराकर, उसको मुद्रिका, जनेऊ मोर छुरी प्राप्त कर लेती है। इन तीनों वस्तुओं को मन्त्री के घर भेजकर, अपनी दासी से मन्त्री की पत्नी से रत्नों की पोटली मंगवा लेती हैं।' रामदत्ता पतिव्रता स्त्री है। जब सर्प के काटने से इसका पति मृत्यु को प्राप्त हो जाता है, तब यह अत्यन्त शोकाकुल हो जाती है। दान्तमति पोर हिरण्यवती नामकी मार्थिकामों के प्रागमन पर यह भी माथिका व्रत धारण कर लेती है। तपस्या करने के बाद जब सिंहचन्द्र मुनि बन जाता है, तब रामदत्ता उसके पास जाकर अपने दूसरे पुत्र पूर्णचन्द्र की भोगप्रवृत्ति की निवृत्ति का उपाय पूछती है। सिंहचन्द्र के द्वारा पूर्ण वृत्तान्त जानकर यह पूर्णचन्द्र के पास पहुँचती है और सांसारिक भोगों के दोषों से अवगत कराती है तथा उसे धर्माचरण में लगा देती है। अपने को कृतात्य समझकर रामदत्ता प्रायिका समाधि से शरीर त्याग कर स्वर्ग पहुँच जाती है। इस प्रकार रानी रामदत्ता बुद्धिमती, प्रजावत्सम, पतिव्रता, पुत्रों के हितचिन्तन में लगी रहने वाली पोर सात्विक भाचार-व्यवहार वाली है। बयोदयचम्पू के पात्र सोमबत्त . यह 'दयोक्य-चम्पू काव्य का नायक है। काव्यशास्त्रीय दृष्टि से हम इसे धीर-प्रशान्त नायक की कोटि में रख सकते हैं। यह उज्जयिनी नगरी के सार्थवाह १. श्रीसमुद्रदत्तचरित्र, ३१२७-४४ २. वही, ४।१५-१६ ३. वही, ४।१६-३६, ५०१-१३ ४. वही, ४१४
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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